सीकर के मुस्लिम समुदाय की सरकारी खजाने मे शून्य की तरफ बढती शमूलियत को लेकर हालात बेहद चिंताजनक।


सीकर।
                राजस्थान के सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय ने कभी वो सुनहरे दिन भी देखे है जब जिला कलेक्टर के अधीन  आने वाले सभी तहसील व उपखंड अधिकारी कार्यलयों के अतिरिक्त जिला मुख्यालय स्थित जिला कलेक्ट्रेट के मिनिस्ट्रियल स्टाफ मे कोई ना कोई मुस्लिम कर्मचारी सेवारत होता था। लेकिन आज के समय मे मुस्लिम समुदाय के लिये बने बेहद चिंताजनक हालात मे मिनिस्ट्रियल स्टाफ (बाबू) के बडे बेड़े मे मात्र दो मुस्लिम कर्मचारियों के सेवा मे होने के बावजूद किसी भी स्तर पर संघर्ष कर समुदाय को फिर से एक अच्छी पोजीशन मे लाने के प्रयास किसी भी स्तर पर नही किये जा रहे है।         पहले जब अभावो मे समुदाय जीवन जीता था तब समुदाय की सरकारी खजाने मे शमूलियत अच्छी खासी हुवा करती थी। एवं आज जब पहले के मुकाबले समुदाय के हालात आर्थिक तौर पर कुछ ठीक नजर आ रहे है तो उनकी सरकारी खजाने मे शिरकत शून्य होने की तरफ बढ रही है।
                जिले की सभी तहसील व सभी उपखण्ड कार्यलयों के साथ साथ जिला कलेक्ट्रेट को मिलाकर सीकर कलेक्ट्रेट (दफ्तर) मे कार्यरत मिनिस्ट्रियल स्टाफ मे मात्र दो मुस्लिम कर्मचारी (बाबू) सेवारत है जिनमे भी एक कर्मचारी अनुकम्पा नियुक्ति के मार्फत एवं दुसरा कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी से तरक्की पाकर मिनिस्ट्रियल स्टाफ के तौर पर सेवारत है। इनके अलावा मुकाबलाती परीक्षा के मार्फत अपनी मेहनत के बल पर एक गावं का युवक सूचना सहायक के पद पर सलेक्ट होकर जरूर सीकर कलेक्ट्रेट (दफ्तर) मे सेवारत है। उक्त तीनो ही कर्मचारी देहाती कल्चर की बिरादरी कायमखानी से तालूक रखते है। जबकि मुस्लिम समुदाय की अनेक बिरादरी ऐसी है जो हर तरह से काफी सक्षम व इस तरफ चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है। अगर यह बिरादरिया ठान ले तो विभिन्न तरह के कम्पीटीशन परीक्षा की तैयारी युवाओं को करवा कर उन्हें सफल होने तक का बोझ आसानी से उठा सकती है।
             आज के समय सीकर की गली गली मे कलर्क-पटवारी-ग्राम सेवक-पुलिस-टीचर व इनके समकक्ष श्रेणी की अनेक परीक्षाओं की तैयारी के लिये एक से बढकर एक कोचिंग क्लासेज संचालित हो रही है। जिन कोचिंग क्लासेज मे भारी भीड़ अध्यनरत है। पर अफसोस उनमे मुस्लिम समुदाय के युवक-युवतियां कोसो दूर नजर आते है। यह तो भला हो सरकार का जिन्होंने मात्र एक दफा निजी स्कूलों मे एड पोस्ट पर कार्यरत टीचर-पीटीआई के अतिरिक्त मदरसा पैराटीचर्स का सरकार मे समायोजन कर दिया था। वरना शैक्षणिक फील्ड के हालात भी मिनिस्ट्रियल स्टाफ की तरह ही नजर आते।
              सीकर मे मुस्लिम समुदाय मे बेहतर ढंग से स्टूडेंट्स को समय रहते कोंसलिंग व गाईडेंस करने के लिये किसी तरह के ब्यूरो का इंतेजाम नही होने एवं घर-परिवार के अलावा युवाओं मे उक्त मुद्दे को लेकर चर्चा तक नही होने का परिणाम है कि समुदाय मे उक्त सरकारी भर्तियों के प्रति आकर्षण पैदा नही हो पा रहा है। मिनिस्ट्रियल स्टाफ मे कार्यरत दोनो कर्मचारी भी अगले कुछ सालो मे सेवानिवृत्त होने को है। अगर नये कर्मचारी नही आ पाये तो समुदाय के लिये वो दिन काले दिन साबित होंगे।


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