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राजस्थान मे जिला पुलिस अधीक्षक पद पर किसी मुस्लिम का वर्तमान मे पदस्थापित नही होना चर्चा बनी।


जयपुर।
              हालांकि ब्यूरोक्रेट्स को पदस्थापित करने का मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है। लेकिन लोकतांत्रिक सरकार व जनता द्वारा चुने गये नेता की खासियत होती है कि वो अपने राजकीय फैसले उस तरह का करते है जिस फैसले मे उस क्षेत्र के हर तबके को अहसास होता नजर आये है कि सत्ता मे उन्हें समान अवसर दिये जा रहे है। साथ ही सत्ता मे भागीदारी सबको मिलना ही सुशासन का स्वरूप माना जाता है।
              राजस्थान मे कांग्रेस सरकार जब जब रही है तब तब अक्सर जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर किसी ना किसी मुस्लिम आईपीएस अधिकारी को जिला पुलिस अधीक्षक पद पर पदस्थापित करने का सीलसीला चला आ रहा था। वर्तमान मे भरतपुर पुलिस अधीक्षक पद पर पदस्थापित हैदर अली जैदी का 66 आईपीएस अधिकारियों की आई तबादला सूची मे उप महानिरीक्षक, इंटेलिजेंस, जयपुर के पद पर पदस्थापित कर दिया गया है। जबकि हैदर अली जैदी के अलावा दुसरे मुस्लिम भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अरशद अली को अभी तक खांचे मे ही पदस्थापित कर रखा है।
           राजस्थान के मुस्लिम समुदाय की बदनसीबी रही है कि भारतीय सीविल सेवा परीक्षा पास करके राजस्थान से बना आईपीएस को अभी तक राजस्थान केडर नही मिल पाया है। एवं नाही अन्य प्रदेश का भारतीय सीविल सेवा मे चयनित होकर राजस्थान केडर मे पदस्थापित नही हो पाये है। प्रदेश मे जो आईपीएस बनकर यहां पोस्टेड हुये वो सभी राजस्थान पुलिस सेवा से तरक्की पाकर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बने है।



          आजादी के बाद लोकतांत्रिक सरकार बनने के बाद राजस्थान पुलिस सेवा से विभागीय तरक्की पाकर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बनने वालो मे जो आईजी पद तक पहुंचे है उनमे मुराद अली अबरा, लियाकत अली खान, निसार अहमद फारुकी व कुवंर सरवर खान का नाम शामिल है। इसके अलावा तारीक आलम भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे है। उक्त अधिकारियों के अलावा वर्तमान मे भारतीय पुलिस सेवा के राजस्थान केडर मे पदस्थापित अधिकारी हैदर अली जैदी पुलिस अधीक्षक पद से तरक्की पाकर डीआईजी पुलिस पद पर पदस्थापित हुये है।एवं दूसरे अरशद अली आईपीएस है। जिन्हें सरकार चाहे तो जिला पुलिस अधीक्षक पद पर पदस्थापित कर सकती है। सरकार मे जनता का दवाब या विधायकों की आवाज को अहमियत मिला करती है। राजस्थान मे सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के कुल नो मुस्लिम विधायक होने के बावजूद उनके मुहं से किसी एक भी उक्त मामले मे आवाज सुनाई नही आ रही है। सभी नो विधायकों को अपने अपने कर्तव्यों पर विचार जरुर करना चाहिए।


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