मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मीडिया पर प्रहार करने से पहले अपने पूवर मीडिया मेनेजमेंट पर विचार जरूर करना चाहिए।


जयपुर।
              राजस्थान कांग्रेस विधायक दल के गहलोत-पायलट समर्थको के रुप मे विभक्त होने के बाद सरकार के अस्तित्व पर आये संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ पत्रकारों को साक्षात्कार देते हुये मीडिया रिपोर्टिंग पर अनेक तरह के प्रहार करते हुये खासतौर पर अंग्रेजी मीडिया पर अपनी खीज निकाली। जबकि मुख्यमंत्री को मीडिया पर प्रहार करने से पहले अपने अब तक के कमजोर से कमजोर मीडिया मेनेजमेंट पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए था। उनको मीडिया से बात करने व अपनी सरकार के किये कामो के आंकड़े मीडिया तक पहुंचाने के लिये एक पत्रकार भी नही मिला जिसको अपना मीडिया सलाहकार बनाया जा सके। जब कोई मीडिया कर्मी किसी जानकारी या प्रैस सम्बंधित काम के लिए मुख्यमंत्री से राब्ता बनाने के लिये उनके दफ्तर के मार्फत कोशिश करता है जो उन्हें एक ओएसडी से सम्पर्क करने को कहा जाता है। जिस ओएसडी का कभी भी मीडिया से दूर दूर तक सम्बंध कभी रहा ही नही  है।
          हालांकि कांग्रेसजन मीडिया पर एक तरफा रिपोर्टिंग करने व विशेष राजनीतिक दल को खबर के मामले मे फेवर करने के आरोप हमेशा मंडते रहते है। लेकिन पुरा मीडिया ऐसा ही हो यह कतई सम्भव होना नही माना जा सकता है। मीडिया मे प्रतिशत मे कम ज्यादा प्रतिशत मे अंतर हो सकता है। लेकिन उन सब मे अंतर जरूर है। आज विधायक खरीद फरोख्त को लेकर जारी ओडियो टेप को लेकर उसी ओएसडी के खिलाफ विधायक भंवर लाल ने अपने वीडियो संदेश मे आरोप लगाये है।व भाजपा नेता ने ने रपट दर्ज करवाई हैः
            कुल मिलाकर यह है कि वर्तमान राजनीतिक समय मे हर पल बदलते व घटित होते राजनीतिक घटनाक्रम के करवरेज को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ पत्रकारों को साक्षात्कार देते हुये अपनी उनके खिलाफ खीज निकाली है। मुख्यमंत्री को उक्त तरह की खीज निकालने से पहले अपने अब तक से अधिक पूवर से पूवर मीडिया मैनेजमेंट पर विचार जरूर करना चाहिए।


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