मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे स्व लालजी टंडन के निधन पर गाँधी भवन में आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा
बाराबंकी। लालजी टंडन अपने पीछे राजनीतिक सद्भाव, शुचिता और आम लोगों व गरीबों से जुड़ाव की जो विरासत छोड़ गए हैं उसे आगे बढ़ाना आसान नहीं होगा। वे सिर्फ हिन्दू-मुसलमान ही नहीं, शिया-सुन्नी विवाद में भी सद्भाव के सूत्रधार होते थे।
यह बात मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे स्व. लालजी टंडन के निधन पर गांधी भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष मो0 उमेर अहमद किदवई ने कही।
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह ने कहा कि भारतीय राजनीति इंसानियत से दूर होती जा रही है। वर्तमान परिवेश में राजनीति में बहुत परिवर्तन आया है। लालजी टंडन जैसी शख्सियत सदियों में एक बार पैदा होती है।
समाजसेवी रिज़वान रज़ा ने कहा कि लालजी टंडन ने उन्नाव में तालिब सरायं स्थित शिया कब्रिस्तान जिस पर अवैध कब्जा था, जिसकी उन्होंने पैमाइश करायी। जिसेे अवैध कब्जे से मुक्त कराया।
समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने कहा कि लालजी टंडन लखनवी तहजीब की जिन्दा मिसाल थे। वह साम्प्रदायिक राजनीति के विरोधी थे। अटल जी के बाद लखनऊ में उनकी राजनीतिक विरासत लालजी टंडन ने ही संभाली थी। लालजी टंडन के न रहने से लखनऊ अनाथ हो गया है।
भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि लालजी टण्डन राजनेता नहीं जननेता थे। उन्होंने एक शानदार राजनैतिक जीवन जिया। उनके मिलनसार एवं सरल स्वभाव से कार्यकर्ता हमेशा प्रसन्न रहते थे।
जमीयत उलमा-ए-हिन्द के पूर्व जिलाध्यक्ष मौलाना मो0 फहीम अहमद ने कहा कि लालजी टंडन जमीनी नेता थे। शायद इसीलिए जीवन भर जमीन से जुड़े रहे। राजनीति में सभासद से संसद और राजभवन तक का सफर तय करने वाले लालजी टंडन का जीवन सरलता की मिसाल था।
जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने कहा कि लालजी टंडन सेक्यूलर विचारधारा के व्यक्ति थे। टंडन जी लखनऊ को नई पहचान दी। उनके निधन से स्वच्छ राजनीति और ईमानदार राजनेता की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता।
सभा का संचालन वरिष्ठ सपा नेता हुमायूं नईम खान ने किया। इस मौके पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्व. लालजी टंडन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। अन्त में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत की आत्मशांति की ईश्वर से प्रार्थना की गई।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से पुरूषोत्तम टंडन, सभासद देवेन्द्र प्रताप सिंह ज्ञानू, विनय कुमार सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार राजा सिंह, मृत्युंजय शर्मा, अनवर महबूब किदवई, विजय कुमार सिंह मुन्ना, पाटेश्वरी प्रसाद, सितवत अली, मनीष सिंह, सत्यवान वर्मा, पी.के सिंह, उदय प्रताप सिंह, तौफीक अहमद, अधिवक्ता प्रदीप पाण्डेय, कपिल सिंह यादव सहित कई लोग मौजूद रहे।
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