जयपुर।
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों के आंकड़ों के बीच स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 मरीजों की जांच के लिए गाइडलाइन जारी की है।गाइडलाइन के अनुसार किसी व्यक्ति की कोरोना जांच के बाद 24 घंटे में उसे जांच रिपोर्ट देनी होगी। इसके लिए अस्पताल लैब और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। बता दें मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव हो या पॉजिटिव 24 घंटे के भीतर मरीज को सूचना उपलब्ध करवाने की बात कही गई है।
मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर
मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद अगर मामूली लक्षण दिख रहे हो तो ऐसी सूरत में मरीज को चिकित्सक के द्वारा ट्रीटमेंट दिया जाए। वहीं, लक्षण वाले नेगेटिव मरीजों को नॉन कोविड अस्पताल में रेफर किया जाए। अगर किसी में लक्षण नहीं हो तो उस व्यक्ति को सावधानी बरतने का परामर्श दिया जाए ।
मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर
जांच रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आई हो और लक्षण नहीं हो या फिर मामूली हो तो उस व्यक्ति को होम आइसोलेशन किया जाए । अगर किसी व्यक्ति के घर में व्यवस्था नहीं हो तो उसे कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाए ।मध्यम लक्षण वाले मरीजों को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज शुरू किया जाए। ऐसे मरीजों को छुट्टी से पूर्व जांच की आवश्यकता नहीं है। ऐसे मरीज को अस्पताल में 10 दिन भर्ती रखने के बाद अगर तीन दिन तक उनमे कोई लक्षण नही दिखे तो छुट्टी दें दी जाएगी ।गंभीर कोरोना मरीजों का भी डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में इलाज किया जाए । ऐसे मरीजों को लक्षण रहित होने और जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही छुट्टी दी जाएगी ।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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