शेखावाटी के मुस्लिम समुदाय के लोगो ने हिजरत तो की, पर वो आजतक ताजीर नही बन पाये।
सीकर।
राजस्थान के चूरु-सीकर व झुंझुनू जिलो को मिलाकर कहलाने वाले शेखावाटी जनपद के मुस्लिम समुदाय के बडी तादाद मे लोग रोजी रोटी कमाने के लिये भारत के गुजरात-महाराष्ट्र व गोवा के अतिरिक्त भारत के कुछ अन्य हिस्सों के अलावा विदेशो मे हिजरत करके गये जरुर लेकिन उनमे से करीब करीब सभी लोगो ने भवन निर्माण के धंधे को अपनाया या फिर किसी के घर-दफ्तर या कम्पनी मे नौकरी करकै दो पैसा कमाकर अपने बच्चों का पैट भरने की कोशिशे जरुर की है लेकिन उनमे से आजतक कोई ताजीर बनने की या तो कोशिश नही की या की तो उसमे वो सफल नही हो पाये।
हिजरत व तिजारत मे बरकत मानकर चलने वाले मुस्लिम समुदाय के शेखावाटी जनपद के लोगों ने हिजरत को तो खुब अपनाया लेकिन तिजारत को छुवा तक नही है। मुम्बई के अलावा महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों व गुजरात-कर्नाटक-गोवा व उसके लगते प्रदेशो मे शेखावाटी जनपद के बडी तादाद मे लोग रहते है। जो या तो भवन निर्माण के ठेकेदार बने हुयै है या मजदूरी कर रहे है। वही खासतौर पर हिजरत करके अरब मे रोजी रोटी के लिये गये लोग भवन निर्माण के काम से ही जुड़ै हुये है। कुछ लोग घरो मे पारिवारिक चालक या फिर दफ्तर मे भी काम करते है।
अधीकांश लोगो के भवन निर्माण से जुड़े होने के बावजूद वो उससे सम्बंधित बिल्डिंग मेटेरियल सप्लाई के ताजीर भी अभी तक नही बन पाये है। हां अपवाद स्वरूप खासतौर पल सऊदिया मे कुछ लोगो ने किराना व जनरल स्टोर खोलकर लाईन बदलने की अच्छी शुरुआत जो कि थी। उसके काफी सुखद परिणाम निकल कर आये। पीछलै दिनो आई अंतरराष्ट्रीय मंदी व सऊदिया सरकार द्वारा विभिन्न तरह के करो मे भारी इजाफा करने से काफी किराना व जनरल स्टोर संचालको को बेदखल होना पड़ा। लेकिन उक्त काम से वो वहां छोटै ताजीर ही बने होगे पर उनके उस तरह के जेहन साजी होने का परिणाम यह निकला कि उनके भारत आकर अपने स्तर पर वो सभी छोटी छोटी दुकानो का संचालन करने लगे है।
शेखावाटी जनपद से अनेक लोगो के हिजरत करके मुम्बई-गोवा व महाराष्ट्र-गुजरात के अन्य हिस्सों मे जाकर भवन निर्माण के काम करने मे दो-तीन पीढियां भी खप चुकी है। उक्त भवन निर्माण मे कभी ठीक कमाया तो कभी नुकसान खाया। यही सबकुछ चलता आ रहा है। इसी तरह फतेहपुर शेखावाटी के कुछ काजी व कुरेशी परिवार आजादी से पहले अरब गये जो पीढी दर पीढी आज भी भवन निर्माण व उसके अंदरूनी डेकोरेशन के काम कर रहे है। पर ताजीर वो भी नही बन पाये है।
कुल मिलाकर यह है कि शेखावाटी जनपद के मुस्लिम समुदाय ने हिजरत करने को तो अपनाया है। पर उसके साथ साथ तीजारत करके ताजीर बनने की तरफ जरा भी ध्यान नही दिया। अगर हिजरत के सिथ तीजारत पर जरा भी ध्यान दिया जाता तो आज बदली बदली तस्वीरों के साथ पुरी तरह काया पलट हुई नजर आती।
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