राजस्थान के कर्नल सोना राम व डा.हरी सिंह नामक दो दिग्गज जाट नेताओं की मुलाकात से राजनीति मे गरमाहट।


जयपुर।
             राजस्थान की जाट राजनीति मे कभी दिग्गज नेताओं की सूची मे शुमार रहे पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम व पूर्व सांसद डा.हरी सिंह की कल जयपुर मे हुई आपसी मुलाकात को चाहे दोनो नेता ओपचारिक मुलाकात बता रहे हो, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कभी समन्वय बैठा नही पाने के तौर पर पहजाने जाने वाले उक्त दोनो जाट नेताओं की कल जयपुर मे हुई आपसी मुलाकात ने राजस्थान की मोजुदा राजनीतिक उठा-पटक के हालात मे गरमाहट ला दी है।
             कर्नल सोनाराम के कांग्रेस की टिकट पर पहले बाडमेर से सांसद बनते रहने के बावजूद उनके जब अशोक गहलोत से राजनीतिक रिस्ते बिगड़ने लगे तो उनको कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामना पड़कर कमल के निशान पर चुनाव लड़ना पड़ा था। वही डा. हरी सिंह भी पहले कांग्रेस के सांसद रहे। फिर पलटी खाकर भाजपा का दामन थामा था। पिछले चुनाव के ठीक पहले हरी सिंह ने फिर भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बावजूद इसके अशोक गहलोत द्वारा चली चाल के चलते हा.हरी सिंह को विधानसभा व लोकसभा की टिकट फिर भी नही मिल पाई थी। भाजपा-कांग्रेस से अलग राजस्थान की वर्तमान राजनीति मे नये रुप मे उभरे जाट नेता नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल से कर्नल सोनाराम के अच्छे रिस्ते होना माना जाता है।
         1998 मे कांग्रेस की तरफ से परशराम मदेरणा के मुख्यमंत्री बनने की सम्भावना के बावजूद दिल्ली तिकड़म की ताकत पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बनने के बाद से जाट समुदाय मे मुख्यमंत्री पद को लेकर व गहलोत के प्रति एक ठसक होना देखा जाता है। शायद इसी स्थिति को भांपकर अशोक गहलोत ने धीरे धीरे करके प्रदेश की मजबूत जाट लीडरशिप को साईडलाईन करते हुये उनके मुकाबले युवा जाट नेतृत्व को उभरा जिनकी जड़े केवल मात्र अशोक गहलोत तक आकर ठहर जाती है।
           राजस्थान मे डा.हरीसिंह व कर्नल सोना राम को वोकल (मुहं फट) जाट नेता के तौर पर जाना जाता है। जिन दोनो नेताओं की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कभी भी पटरी नही बैठ पाई है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के प्रदेशाध्यक्ष पद से जल्द हटने की सम्भावना व उनकी जगह गहलोत समर्थको द्वारा किसी गैर जाट को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की चर्चा के मध्य कर्नल सोनाराम व डा. हरी सिंह की कल जयपुर मे हरि सिंह के जयपुर स्थित फार्म हाऊस पर हुई मुलाकात को हलके मे नही लिया जा सकता है।
              कुल मिलाकर यह है कि 19-जून को हुये राज्यसभा चुनाव मे मुख्यमंत्री गहलोत की बल्ले बल्ले होने के बाद से मंत्रीमण्डल मे बदलाव व प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने के साथ साथ राजनीतिक नियुक्तियों के होने की सम्भावना के मध्य राजस्थान के वोकल जाट नेता व गहलोत से छत्तीस के आंकड़े रखने वाले पूर्व सांसद सोना राम व पूर्व सांसद डा.हरी सिंह की मुलाकात कोराजनीति मे  हल्के मे नही लिया जा रहा है।


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