पाकिस्तान के मुकाबले चीन देश का बड़ा दुश्मन : राजनाथ शर्मा


बाराबंकी। समाजवादी पाकिस्तान के मुकाबले चीन को अपेक्षाकृत बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानते है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए पहले भी और अब भी पाकिस्तान सबसे बड़ा दुश्मन है। पाकिस्तान का भारत की नीति के केंद्र में होना ऐतिहासिक एवं राजनीतिक कारण है। आजादी के बाद विभाजन से भारत-पाकिस्तान के बीच कड़वाहट और बढ़ गई। जिसके कारण कश्मीर विवाद से लेकर बांग्लादेश का निर्माण और कारगिल तक की घटनाएं होती रहीं।  यह बात गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने एक प्रेस वक्तव्य में कही। 


श्री शर्मा ने कहा कि डाॅ. राम मनोहर लोहिया से लेकर जॉर्ज फर्नांडिस और मुलायम सिंह यादव जैसे समाजवादी विचारक और नेता हमेशा ये कहते रहे हैं कि भारत की विदेश नीति के केंद्र में चीन को होना चाहिए और इस क्रम में भारत को पाकिस्तान के साथ संबंध बनाकर चलना चाहिए। 


उन्होंने कहा कि आज चीन अपने आस-पास के पड़ोसी मुल्कों के सीमा क्षेत्रों का उल्लंघन कर रहा है। जिससे अहिंसात्मक देशो में भय का वातावरण पैदा हो रहा है। चीन हिंदुस्तान की सीमाओं का नियमित रूप से उल्लंघन करके सीमावर्ती क्षेत्रों पर कब्जा कर रहा है। जिसमे कैलाश और मानसरोवर से लेकर मंसर गाँव का राजस्व (लगान) ब्रिटिश काल में हिंदुस्तान की सरकार वसूलती रही है। जिस पर भी उसने कब्जा किया है। 


श्री शर्मा ने बताया कि नेहरू की गलत नीतियों के चलते तिब्बत का अधिग्रहण कर लिया और पहली बार चीन और भारत की सीमाएं पास आ गईं, क्योंकि इससे पहले तक दोनों के बीच तिब्बत नाम का देश हुआ करता था। इस घटना को राम मनोहर लोहिया ने ‘शिशु हत्या‘ करार दिया और भारत सरकार को चीन के इरादों के प्रति आगाह किया। जिसके बाद चीन का हौसला बढ़ता चला गया। उसने तिब्बत जैसे शांति प्रिय देश पर कब्जा कर लिया। और भारत की सीमाओं पर भी कब्जा करने का निरंतर प्रयास जारी है। 


श्री शर्मा ने कहा कि भारत सरकार के नीतिकारों के पास हिमालय बचाने की कोई नीति आज तक नही बनी। लेकिन भारतीय नीतिकारों ने पाकिस्तान जैसे एक लघु राष्ट्र को आज भी शत्रु राष्ट्र के रूप में हाशिये पर रखा है। सन् 1965 में भारत के दो बड़े विपक्षी दलों के नेता डॉ राममनोहर लोहिया और दीन दयाल उपाध्याय ने भारत-पाकिस्तान के बीच महासंघ बनने का वक्तव्य जारी किया था। जिसके बाद 1967 के चुनाव में हिन्दी इलाकों केे सात राज्यों की विधानसभाओं में गैर कांग्रेसी सरकारें बनी। लेकिन इन्दिरा गांधी ने लोकसभा में अपने विशाल बहुमत के बल पर असंवैधानिक रूप से उन सरकारों को गिराने का काम किया। जिसके बाद उन्होंने वामपंथ के नारे के साथ साम्यवादी दलों को अपने साथ शामिल कर लिया। 


श्री शर्मा ने कहा कि नेहरू और श्रीमती गांधी की राजनीतिक भूल के कारण चीनी शक्ति बढ़ती गई तथा उनका हौसला भी बढ़ता गया। चीन भारत की सीमा से लगे पड़ोसी देशों से अपने रिश्ते ठीक करता रहा। यही नहीं उन राष्ट्रों में भारत के विरुद्ध ज़हर भी घोलता रहा। आज की स्थिति इतनी विषम हो गई है कि लद्दाख, मणिपुर और नागालैंड क्षेत्र में निरंतर चीनियों का घुसपैठ जारी है। जिस कारण हिंदुस्तानी सैनिकों की शहादत हो रही है। 


श्री शर्मा ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम की भाजपा उतनी ही दोषी है जितनी कांग्रेस। केन्द्र सरकार पुरानी भूलों में सुधार न करके चीन के साथ समझौता करके की जिद्दोजहद कर रही है। चीन विश्व में एकाधिपत्य स्थापित करने की नीति अपना रहा है।


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