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कांग्रेस व समर्थन दे रहे विधायकों की गहलोत ने की मतदान तक बाड़ेबंदी।


जयपुर।
             कर्नाटक व मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल करके भाजपा द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के अलावा गुजरात मे कांग्रेस विधायकों के विधायक पद से त्याग पत्र देने के सीलसीले के बाद राजस्थान के कुछ कांग्रेस विधायकों व निर्दलीय विधायको के पास उन्नीस जून को होने वाले राज्य सभा चुनाव मे भाजपा उम्मीदवार के पक्ष मे मतदान करने या फिर कांग्रेस विधायक पद छोड़ने के लिये लोभ-लालच के फोन आने व कुछेक से व्यक्तिगत सम्पर्क करके लोभ -लालच का आफर करने की भनक जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंची तो उन्होंने गुप्त रणनीति के तहत कांग्रेस व सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को मुख्यमंत्री निवास पर बैठक करने के बहाने न्योता भिजवाया ओर उक्त विधायकों से सम्पर्क करने की विरोधियों की हर कोशिश को असफल करने के लिये कोराना केश बढने के बहाने अचानक दस जून को पहले प्रदेश की सभी सीमा सील करने के आदेश सरकार की तरफ से जारी करवाये फिर एक घंटे बाद उक्त आदेश का संशोधित आदेश जारी हुवा जिसमे प्रदेश मे आने व प्रदेश से बाहर जाने वाले पर पूरी तरह नजर रखी जा सकती है।इस आदेश के बाद कांग्रेस व निर्दलीय विधायको से या उनके परिजनों के मार्फत उनसे सम्पर्क करके उनको अपनी तरफ खींचकर कांग्रेस को मात देने मे लगे नेताओं की कोशिशों पर ब्रेक सा लग गया है। एवं इस तरह की हलचल अगर होती है तो उसका मुख्यमंत्री को पता भी लगना आसान हो गया है।
               मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने व निर्दलीय विधायकों से विरोधियों द्वारा सम्पर्क साधने की मिल रही खबरो के बाद मुख्यमंत्री ने सोची समझी रणनीति के तहत सभी कांग्रेस विधायकों व समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को बैठक के बहाने दस जून शाम को बीना कुछ बताये अपने निवास पर बूलाकर एक एक विधायक से स्वयं व्यक्तिगत मिलकर उनको राज्य सभा चुनाव तक बाड़ेबंदी मे रहने को तैयार करके दिल्ली रोड़ स्थित अपने परिचित की शिवा होटल मे सभी को भेजकर अपनी सफल रणनीति का पहला फेज पुरा कर लिया। बताते है कि मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के सभी विधायको के अतिरिक्त समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों के साथ लोकदल के एक विधायक को बाड़ेबंदी मे बंद करके विरोधियों द्वारा उनसे सम्पर्क करके उन्हें तोड़कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का एक तरह से बन रहे रास्ते मे कठोर अवरोध लगा दिया है। शाम को मुख्यमंत्री स्वयं बाड़ेबंदी वाली जगह पहुंच कर विधायकों के साथ भोजन किया ओर एक बार फिर उनसे मिले। यानि एक तरह से राज्य सभा चुनाव मे तोड़फोड़ होने की आशंका के चलते राजस्थान की पुरी सरकार बाड़ेबंदी मे सिमट कर रह गई है।
            उन्नीस जून को तीन राज्य सभा सीटों के लिये होने वाले चुनाव के लिये भाजपा ने अपने दो उम्मीदवार उतार कर मतदान होने की स्थिति बनाकर कांग्रेस के असंतुष्ट व निर्दलीय विधायकों के सामने विकल्प पैश करके अपने अतिरिक्त मतो के साथ निर्दलीय व गुजरात, व अन्य प्रदेशों की तरह कांग्रेस विधायकों को अपनी तरफ खींचकर कांग्रेस को मात देकर अपने दूसरे उम्मीदवार को जीताने की कोशिश करने की चाल की भनक खुफिया तंत्र व भाजपा के ही अंदरूनी सुत्रो से मुख्यमंत्री गहलोत को ज्यो ही मिली त्यो ही गहलोत ने विधायकों की बाड़ेबंदी का कदम उठाकर एक तरह से विरोधियों को एक दफा तो मात दे दी है।



             राज्य सभा चुनाव मे एक उम्मीदवार को जीतने के लिये कम से कम 51 मतो की आवश्यकता है। कांग्रेस के पास 101 स्वयं के निसान पर जीते हुये व छ बसपा से कांग्रेस मे आये विधायको को मिलाकर कुल 107 विधायक है। इसके अतिरिक्त लोकदल के एक विधायक सुभाष गर्ग का समर्थन शुरू से प्राप्त है। तेराह निर्दलीय विधायको मे से विधायक ओमप्रकाश हुड़ला को छोड़कर बाकी 12 विधायकों का भी समर्थन कांग्रेस को प्राप्त है। इसके विपरीत भाजपा के स्वयं के 72 विधायक व 3 रालोपा के व अगर हुड़ला का मत भी भाजपा की तरफ जाये तो अधिकतम 76 विधायको का समर्थन ही पक्ष मे होना माना जा रहा है। दो माकपा व दो बीटीपी के मोजूद विधायकों का वैचारिक तोर पर भाजपा के पक्ष मे जाना सम्भव नही है।
                राजनीतिक समीक्षक कहते है कि भाजपा को पहले से पता है कि उक्त राज्यसभा चुनाव मे उनका दुसरा उम्मीदवार जीत नही पायेगा। लेकिन इस चुनाव के बहाने कर्नाटक-मध्यप्रदेश व गुजरात की तरह कांग्रेस व निर्दलीय विधायको मे से किसी भी तरह से किसी भी स्तर पर उन्हें तोड़कर अपनी तरफ खींचकर मनोवैज्ञानिक तौर पर कांग्रेस सरकार पर दवाब बनाकर उसे मुश्किल मे डालकर आगे चलकर सत्ता परिवर्तन का खेल रचने का रास्ता तैयार करना चाहती है। जिसमे गहलोत द्वारा विधायकों की बाड़ेबंदी करने के बाद सफलता मिलना मुश्किल हो चुका है। इसके विपरीत कांग्रेस ने अपने मुख्य सचेतक महेश जौशी द्वारा सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने की शिकायत राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के मुखिया से करने के बाद ऐसीबी द्वारा जांच करने की सम्भावना से गहलोत विरोधी व तोड़फोड़ मे लगे भाजपा नेताओं पर मनोवैज्ञानिक दवाब बना गया है। जिसके चलते लोभ-लालच देकर कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों को तोड़कर अपनी तरफ खींचने मे लगे नेताओं मे खलबली मच चुकी है।
        कुल मिलाकर यह है कि कांग्रेस के राज्य सभा उम्मीदवार केसी वेणुगोपाल व नीरज डांगी व भाजपा के दो मे से एक उम्मीदवार राजेन्द्र गहलोत का चुनाव जीतना लगभग तय है। कांग्रेस विधायकों व सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों की बाड़ेबंदी दिन ब दिन मजबूत होती जायेगी। बाड़ेबंदी मे भी गहलोत के खास विधायक सदिग्ध विधायकों पर पूरी नजर बनाये हुये है। राजस्थान मे जारी राजनीतिक हलचल से लगने लगा है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी रणनीति के तहत कांग्रेस मे मोजूद असंतुष्ट व भाजपा को एक दफा तो अपनी गुप्त रणनीति से पटखनी दे दी है।


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