हाय गर्मी और मुस्लिम बस्तियों मे सुबह देर तक कूलर चलने की आवेजे कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है।


सीकर।
              हालांकि नूकड़ व चोहराओ पर बीना वजह बैठक करने के साथ साथ देर रात तक बीना वजह जागते रहने की इस्लाम धर्म मे सख्त मनादी के बावजूद मुस्लिम बस्तियों मे नूकड़-चोहराओ व स्ट्रीट लाइटों के आस-पास देर रात तक बैठके चलना आम बात है। वही जिनको सुबह जल्द (भाग फाटने के साथ) उठने की सख्त हिदायतें होने के बावजूद अगर इन दिनो मुस्लिम बस्तियों पर नजर डाले तो पायेगे कि सूरज उदय होने के साथ उपर चढ आने तक घरो से या तो कलर चलने की आवाज सुनाई देगी या फिर सन्नाटा नजर आयेगा।
               मुस्लिम बस्तियों मे सुबह सुबह सन्नाटे के बावजूद चाय की थड़ियो पर कुछ बूजुर्ग लोग चाय पीने इसलिये आते है कि उनके घरो मे उनके अलावा अन्य कोई जल्द नही उठने के कारण उन्हे कोन चाय बनाकर दे। कुछ सीनियर लोग जो रात को जल्दी सो जाते है। वो सुबह उठ भी जल्दी जाते है। कोई अपनी इबादत करके या फिर नित्य क्रियाओं से फ्री होने के बाद वो बस्ती की चाय थड़ी पर इसलिए चाय पीने के बहने समय काटता है कि जब उनके घरवाले उठे तब वो घर वापिस जाये।
           प्राकृतिक , धार्मिक व हेल्थ दिनचर्या के विपरीत देर रात सोने व सुबह सूरज चढने के बाद बिस्तर छोड़ने कै केवल ओर केवल नुकसान के अलावा कुछ भी नही है। देरी से उठने वाला शख्स दिन पर आलसी तबयत का धनी व चिड़चिड़ापन का हकदार रहेगा। जब कभी घर की महिलाएं सुबह उठकर घर-आंगन व बाहर चोक-रास्ते की बुआरी-सफाई  करने के अलावा हाथ चक्की से अनाज पीस कर रोटी बनाती थी। व कुछ जगह तो पशु चराई व दूध निकालना भी महिलाएं किया करती थी। एवं पुरुष जल्द नित्य क्रियाओं से फ्री होकर रोजगार की तलाश या रोजगार पर चले जाते थे। आज घरो मे पहले के मुकाबले अधिक सुविधाऐ उपलब्ध होने के बावजूद सबकुछ उलटा-पुलटा हो रहा है।
                कहते है कि मुस्लिम बस्तियों मे धार्मिक ईदारो की कमी नही है। उनसे धार्मिक प्रचार व धार्मिक कार्य किये जाते जरुर है लेकिन उनसे दिनचर्या को दूरस्त करने के साथ साथ जदीद तालीम पाने के लिये किसी भी तरह का अभियान चलाया नही जाता है। किसी ने किसी को कहा कि आज दुनिया भर मे इस्लाम धर्म पर खतरे मण्डरा रहे है। तो तपाक से दूसरे ने जवाब दिया कि इस्लाम धर्म पर कोई खतरा नही बल्कि मुसलमानों पर खतरे मण्डरा रहे है। मुसलमान आज कहां खड़ा है और वहां वो क्यो खड़ा है, इस पर मंथन करना चाहिए।
                        कुल मिलाकर यह है कि देर रात तक बीना वजह लोगो का जागते रहना ओर सुबह जल्दी उठने से परहेज करने अलावा नुक्कड़ व चोहराओ के साथ साथ थड़ियो पर झूंण्ड के झूण्ड मे लोगो का बैठे रहना आज आम मुस्लिम बस्तियों के हालात बन चुके है।लेकिन इन सबसे निजात पाने का प्रयास करता मुस्लिम समुदाय नजर नही आ रहा है। एक दफा फिर दोहराया उचित समझता हु कि आज इस्लाम धर्म पर किसी तरह के खतरे के बादल नही मण्डरा रहे है। बल्कि मुसलमानो पर खतरे के बादल जरुर मण्डरा रहे है। जिनके वो स्वयं जिम्मेदार अधिक है।


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