जयपुर।
राजस्थान लोकसेवा आयोग की शुरुआत दो सदस्यों के होने के बाद 1973 मे संख्या बढकर चार हुई ओर फिर 1981 मे संख्या पांच एवं वर्तमान मे आठ सदस्यो की संख्या वाला आयोग पुरा आयोग कहलाता है। वर्तमान मे एक चेयरमैन दीपक उत्प्रेती व तीन सदस्य कार्यरत है। चारो ही सदस्य पीछली भाजपा सरकार के समय नियुक्ति पाने वाले है। कांग्रेस सरकार के समय नियुक्ति पाने वाले सभी सदस्य रिटायर हो चुके है।
हालांकि चेयरमैन उत्प्रेती के कार्यकाल मे अभी पांच माह का समय बाकी है। लेकिन रिक्त चल रहे चार सदस्यो के पदो पर चार लोगो की बतौर सदस्यो की नियुक्ति जल्द होने की सम्भावना प्रबल बताते है। उक्त संवैधानिक चारो पदो पर नियुक्ति के लिये जातीय आधार को भी नजर मे रखा जायेगा।
आयोग के गठन मे आधे सदस्य राज्य व केन्द्र सरकार मे कम से कम दस साल की सेवा करने वालो का होना आवश्यक होने के कारण अब मनोनीत होने वालै चार सदस्यो मे से दो सदस्य सरकारी अधिकारियों मे से नियुक्त किये जायेगे। बाकी दो सदस्य जनसेवक बन सकता है। वर्तमान चार सदस्यों मे चैयरमैन दीपक उत्प्रेती भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे है। एवं नागोर जिले के रहने वाले रायका अर्थशास्त्र के लेक्चरार रहते सदस्य मनोनीत हुये थे। बाकी दो सदस्य शिवसिंह राठौड़, राजकुमारी गुर्जर व रामू राम रायका जन सेवक बताते है।
जानकारी अनुसार जल्द नियुक्त होने वाले चार सदस्यों के बारे मे जानकारी अनुसार एक जाट, एक मुस्लिम व एक दलित के साथ साथ एक माली जाती से तालुक रखने वाला बताते है। जाट व मुस्लिम सदस्य अधिकारी कोटे से बनाये जा रहे बताते है। बाकी दो सदस्य सरकार की मर्शी पर निर्भर है। मुस्लिम मे पुलिस अधिकारी व जाट मे राजस्थान प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी के नाम की चर्चा है।
कुल मिलाकर यह है कि मिल रही खबरो के मुताबिक राजस्थान लोकसेवा आयोग के रिक्त चल रहे चार सदस्यों के पद पर जल्द नियुक्ति के आदेश जारी होने की पुरी पुरी सम्भावना जताई जा रही हैः
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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