जयपुर।
हालांकि पवित्र माह रमजान मे प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के अलावा मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलो के नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा भारत भर मे आपसी सद्भावना को मजबूत करने के लिए इफ्तार पार्टियों का आयोजन हमेशा होता रहा है। लेकिन इस साल कोविड-19 के चलते अब इस साल इस तरह की पार्टियों का आयोजन होना नामुमकिन हो गया है।
कोविड-19 से लड़कर विजय पाने के लिये प्रत्येक रोजेदार अबकी दफा अपनी घरेलू इफ्तार को भी बहुत सिमित करके उससे होने वाली बचत से आस-पड़ोस मे गरीब, परेशान हाल दिहाड़ी मजदूरों व अन्य जरुरतमंद तक सहायता पहुंचा कर शकून महसूस कर रहे है। वही अधीकांश राजनेताओं व सामाजिक कारकूनो ने जरुरतमंदों तक राहत पहुंचाने की नीयत से खाद्य सामग्री लोकडाऊन की शूरुआत से ही लगातार जारी रखते हुये पहुंचाने मे लगे हुये है।
रोजेदार मस्जिदों से दूर रहकर घर पर रहकर इबादत कर रहे है। वही सामाजिक कारकूनो ने जरुरतमंदों तक राहत पहुंचाने का अपना शगल बना रखा है। माहे रमजान मे राजस्थान स्तर पर मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित होने वाली इफ्तार पार्टी को बडे पैमाने पर आयोजित किये जाने का सीलसील जो जारी रहा था वो अबकी दफा कोविड-19 के चलते नही हो पायेगा। इसी तरह मुख्यमंत्री व राज्यपाल के अलावा राजनेताओं द्वारा की जाने वाली इफ्तार पार्टियों मे सीकर मे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया द्वारा आयोजित होने वाली इफतार पार्टी को तादाद के हिसाब से काफी बडी व वैल मैनेज्ड माना जाता रहा है। लेकिन महरिया द्वारा आयोजित होने वाली इफ्तार पार्टी के इस साल आयोजित नही होना तय है। पर सुभाष महरिया ने लोकडाऊन की शुरुआत से लेकर अब तक जरुरतमंदों तक खाद्य सामग्री के किट पहुनचाने का सीलसील जो शूरु कर रखा है उससे क्षेत्र मे लोगो को बडी राहत मिली है। इसी तरह चूरू मे मण्डेलीया परिवार द्वारा आयोजित की जाने वाली इफ्तार पार्टी मे इस चालू माहे रमजान मे नही होगी।
कुल मिलाकर यह है कि इसी वर्ष चालू माहे रमजान मे प्रत्येक रोजेदार अपनी इफ्तार को पहले के मुकाबले काफी सीमित कर उससे होने वाली बचत को जरुरतमंद को राहत पहुंचाने मे खर्च करके जक अच्छा संदेश दिया जा रहा है। ईद जैसे पवित्र त्योहार पर किसी तरह की खरीदारी नही करने व ईद के बाद ईद मिलन जैसे कार्यक्रम नही करने का जो तय किया है वो तारीफ के काबिल माना जायेगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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