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कोरोना के चलते एक शहर में रहकर भी महीने भर से माता-पिता से नहीं मिल पाये मुख्य सचिव डी बी गुप्ता।


जयपुर| 
           कोरोना वायरस के कठिन समय में हर व्यक्ति की जीवन शैली बदल गई है। एेसा ही बदलाव प्रदेश के मुख्यसचिव डीबी गुप्ता के दिनचर्या से लेकर काम काज की कार्यशैली तक पर हुअा है। वह कहते है कि अाॅफिस में लंबी मीटिंगाें के दाैर, सैकड़ाें की संख्या में मिलने वाले लाेगाें से ताे राहत मिली है, लेकिन चुनाैती कई गुना बढ़ गई है। पूरा समय काेराेना से लड़ने में जा रहा है। स्थिति यह है कि अब शनिवार अाैर रविवार काे रेस्ट नहीं कर पा रहा हूं। काेराेना ने एेसा दर्द दिया कि मैं भी पिछले एक माह से अपने माता-पिता से नहीं मिल पाया हूं। माता-पिता मेरे छाेटे भाई के साथ जयपुर के एमएनआईटी परिसर में ही रहते हैं। ये चीजें मानसिक रूप से खलती है, लेकिन पद की जिम्मेदारी, जनता के लिए कुछ कर पाने में सक्षम होने का अहसास बड़ा मोटिवेटिंग फैक्टर है, जो मुझे प्रेरणा देता रहता है।मैं दिन की शुरुआत अखबार पढ़ने से करता हूं। उसके बाद काेराेना काे लेकर कंट्रोल रूम, वार रूम अाैर कलेक्टरों से बात होती है। फिर मॉर्निंग वाक घर पर ही कर लेता हूं। मॉर्निंग वाक के बाद 15-20 मिनट तक मेडिटेशन करता हूं ताकि एक दिमागी सुकून मिले। अाॅफिस जाने के बाद जो नीतिगत निर्णय लिए जाने है, उस पर एक्शन शुरू होते है। ताकि अगली नई समस्या आने से पूर्व ही उनका निदान हो सके। संबंधित विभागों के अधिकारियों से बातचीत करते समस्याओं का समाधान निकाला जाता है। नई नीति का एक मानस बनाया जाता है। पिछले एक माह से अधिक समय से सीएम अावास पर सुबह 11 से दाेपहर 12 बजे के बीच बैठकें और वीसी शुरू हाे जाती है। इस दाैरान काेराेना काे लेकर चर्चा होती है। अपने मत से सीएम काे अवगत कराता हूं। उसके बाद सीएम के स्तर पर हर बिंदु काे ध्यान में रखकर अंतिम निर्णय लिया जाता है। यह प्रक्रिया दाेपहर दाे से ढ़ाई बजे तक चलती है। लंच अाॅफिस में करने के बाद अाने वाली फाइलें निस्तारित की जाती है। फिर शाम पांच बजे से सीएम अावास में मीटिंगें शुरू हाे जाती है। किसी दिन यह प्रक्रिया रात के 10 से 11 बजे तक चलती है ताे कभी रात्रि का भोजन ब्रेक लेते हुए मध्य रात्रि एक बजे के बाद तक भी चलती है। ऐसी व्यस्त दिनचर्या में परिवार के लोगों के साथ एक हल्का फुल्का समय निकालना अत्यंत दुष्कर हो जाता है।
#राजस्थानकेमुख्यसचिवडीबीगुप्ताबतारहे  
कोरोना के चलते एक शहर में रहकर भी महीने भर से माता-पिता से नहीं मिल पाया: सीएस


जयपुर| कोरोना वायरस के कठिन समय में हर व्यक्ति की जीवन शैली बदल गई है। एेसा ही बदलाव प्रदेश के मुख्यसचिव डीबी गुप्ता के दिनचर्या से लेकर काम काज की कार्यशैली तक पर हुअा है। वह कहते है कि अाॅफिस में लंबी मीटिंगाें के दाैर, सैकड़ाें की संख्या में मिलने वाले लाेगाें से ताे राहत मिली है, लेकिन चुनाैती कई गुना बढ़ गई है। पूरा समय काेराेना से लड़ने में जा रहा है। स्थिति यह है कि अब शनिवार अाैर रविवार काे रेस्ट नहीं कर पा रहा हूं। काेराेना ने एेसा दर्द दिया कि मैं भी पिछले एक माह से अपने माता-पिता से नहीं मिल पाया हूं। माता-पिता मेरे छाेटे भाई के साथ जयपुर के एमएनआईटी परिसर में ही रहते हैं। ये चीजें मानसिक रूप से खलती है, लेकिन पद की जिम्मेदारी, जनता के लिए कुछ कर पाने में सक्षम होने का अहसास बड़ा मोटिवेटिंग फैक्टर है, जो मुझे प्रेरणा देता रहता है।
मैं दिन की शुरुआत अखबार पढ़ने से करता हूं। उसके बाद काेराेना काे लेकर कंट्रोल रूम, वार रूम अाैर कलेक्टरों से बात होती है। फिर मॉर्निंग वाक घर पर ही कर लेता हूं। मॉर्निंग वाक के बाद 15-20 मिनट तक मेडिटेशन करता हूं ताकि एक दिमागी सुकून मिले। अाॅफिस जाने के बाद जो नीतिगत निर्णय लिए जाने है, उस पर एक्शन शुरू होते है। ताकि अगली नई समस्या आने से पूर्व ही उनका निदान हो सके। संबंधित विभागों के अधिकारियों से बातचीत करते समस्याओं का समाधान निकाला जाता है। नई नीति का एक मानस बनाया जाता है। पिछले एक माह से अधिक समय से सीएम अावास पर सुबह 11 से दाेपहर 12 बजे के बीच बैठकें और वीसी शुरू हाे जाती है। इस दाैरान काेराेना काे लेकर चर्चा होती है। अपने मत से सीएम काे अवगत कराता हूं। उसके बाद सीएम के स्तर पर हर बिंदु काे ध्यान में रखकर अंतिम निर्णय लिया जाता है। यह प्रक्रिया दाेपहर दाे से ढ़ाई बजे तक चलती है। लंच अाॅफिस में करने के बाद अाने वाली फाइलें निस्तारित की जाती है। फिर शाम पांच बजे से सीएम अावास में मीटिंगें शुरू हाे जाती है। किसी दिन यह प्रक्रिया रात के 10 से 11 बजे तक चलती है ताे कभी रात्रि का भोजन ब्रेक लेते हुए मध्य रात्रि एक बजे के बाद तक भी चलती है। ऐसी व्यस्त दिनचर्या में परिवार के लोगों के साथ एक हल्का फुल्का समय निकालना अत्यंत दुष्कर हो जाता है।


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