लखनऊः प्रदेश के श्रम विभाग ने कोविड-19 महामारी के चलते श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए अपर श्रम आयुक्त कार्यालय, लखनऊ क्षेत्र में प्रदेश स्तरीय कन्ट्रोल रूम स्थापित किया है, जिसका फोन नं0-0522-2202893 है। इस कन्ट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों का शीघ्र निराकरण करने के लिए अन्य विभागों से भी समन्वय किया जा रहा है।
सहायक श्रम आयुक्त श्री रवि श्रीवास्तव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस कोविड-19 कन्ट्रोल रूम में श्रमिकों के खाते में 01 हजार रुपये की राशि शीघ्र पहुंचाने, जाॅब कार्ड बनवाने, श्रमिकों का वेतन दिलवाने, इनके भरण-पोषण हेतु खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित कराने, औद्योगिक इकाईयों के पास बनवाने तथा मास्क व सैनिटाइजर आदि के उत्पादन हेतु अनुमति देने सम्बन्धी शिकायतें आती हैं। उन्होंने बताया कि श्रम आयुक्त डाॅ0 सुधीर एम. बोबड़े ने विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को इस आपदा के दौरान अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता तथा समर्पण की भावना से करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि समाज के अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ शीघ्र पहुंचे इसके लिए सभी अधिकारी मेहनत करें तथा सभी पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में 01 हजार रुपये की धनराशि शीघ्र भेजें।
श्री रवि श्रीवास्तव ने बताया कि कन्ट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए उप श्रमायुक्त श्री अमित कुमार मिश्रा, संयुक्त आयुक्त उद्योग श्री पवन अग्रवाल, उपायुक्त उद्योग श्री मनोज चैरसिया सहित अन्य विभागीय अधिकारी लगाए गए हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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