जयपुर।
राजस्थान में आज से रेपिड एंटी बॉडी टेस्ट के माध्यम से कोरोना की जांच शुरू हो गई है। रेपिड टेस्ट करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। पहले दिन 60 जांच की गई, जो सभी नेगेटिव पाई गईं। मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीडियाकर्मियों के साथ कोरोना की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री ने वार्ता की। 10 हजार टेस्ट किट प्राप्त होते ही जांच शुरू कर दी गई है। पचास हजार किट शुक्रवार रात तक मिलने हैं और 2 लाख किट तीन दिन में पहुंच जाएंगी। रेपिड टेस्ट कन्फरमेटरी टेस्ट नहीं है, इसलिए पीसीआर टेस्ट की व्यवस्था पूर्व की भांति जारी रहेगी। इसमें किसी तरह की कमी नहीं की जाएगी।
प्रदेश के हर जिले में कोरोना जांच के लिए लैब स्थापित करने पर काम शुरू कर दिया गया है। जनसंख्या तथा औद्योगिक इकाइयां ज्यादा होने के कारण सबसे पहले अलवर में यह लैब स्थापित की जा रही है। सब्जी विक्रेताओं, खाद्य पदार्थों आदि की होम डिलीवरी करने वालों के भी रेपिड टेस्ट करवाए जाएंगे। प्रदेश में कोरोना की जांच की संख्या में कोई कमी नहीं की गई है। बीते कुछ दिनों में पॉजिटिव मामलों की संख्या कम हुई है, इसका यह कतई मतलब नहीं कि टेस्ट की संख्या कम की गई है। राजस्थान में देश में सबसे ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। अब तक 42 हजार 751 टेस्ट किए जा चुके हैं।
केंद्र सरकार से टेस्ट किट, पीपीई, वेंटीलेंटर तथा अन्य उपकरणों की केंद्रीकृत खरीद के लिए आग्रह किया था, ऐसा करने पर उपकरणों की उपलब्धता उचित दरों पर जल्द उपलब्ध हो पाते, लेकिन केंद्र सरकार ने इस सुझाव को नहीं माना। इसके परिणाम स्वरूप खुद राज्यों को ही दुनिया के दूसरे देशों तक दौड़ लगानी पड़ी। अब किट उपलब्ध हो गए हैं तो रेंडम टेस्ट शुरू किए जाएंगे। इससे संक्रमण की वास्तविकता का पता चल सकेगा। अभी प्रदेश में पर्याप्त संख्या में पीसीआर टेस्ट किट, पीपीई किट और वेंटीलेटर्स उपलब्ध हैं।
कोरोना के प्लाजमा ट्रीटमेंट के सवाल पर कहा कि इसके लिए हो रहे शोध में एसएमएस अस्पताल भी जुड़ा हुआ है। एसएमएस के चार दवाओं के कॉम्बीनेशन पर भी दुनिया के देशों में रिसर्च हो रही है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए राजस्थान के चिकित्सा विशेषज्ञों सहित हर व्यक्ति ने बेहतरीन काम किया है।
20 अप्रेल से शुरू होने वाले मॉडिफाइड लॉकडाउन के दौरान मास्क लगाने, सामाजिक दूरी बनाने सहित सभी प्रोटोकॉल की पालना में कोई ढील नहीं दी जाएगी। केवल उद्योग-धंधों और काम पर आने-जाने के लिए मूवमेंट में आंशिक छूट केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप दी जाएगी। एक सवाल के जवाब में कहा कि मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीज का नाम जाहिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे कई बार मरीज को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में कहा कि क्वारेंटाइन की सुविधा आबादी क्षेत्र के पास होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कोरोना हवा से फैलने वाली बीमारी नहीं है। क्वारेंटाइन सुविधा जगह की उपलब्धता और भोजन आदि की व्यवस्था सुलभ करवाने में आसानी होने के आधार पर तय की जाती है। कोई भी सरकार नहीं चाहेगी कि एक भी मरीज की संख्या बढे़, इसलिए क्वारेंटाइन फैसेलिटी में सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉल की पूरी पालना की जाती है।
कोरोना के संक्रमण और लॉकडाउन के कारण देश में प्रवासी मजदूरों की समस्या बहुत गंभीर हो गई है। चाहे मजदूर अपने राज्य में रह रहे हों या दूसरे राज्य में उनका एक बार अपने घर जाना जरूरी है। ऐसे में 20 अप्रेल के बाद हो सकता है, भारत सरकार इसमें थोड़ी छूट दे दे। ऐसा होने से मजदूरों का टूटा मनोबल लौट सकेगा और वे अपने रोजगार पर वापस आने में सहूलियत महसूस करेंगे। एक मीडियाकर्मी के सवाल पर कहा कि राज्य सरकार स्वयं के लिए केंद्र सरकार से पैकेज मांग रही है, हमारा मानना है कि उद्योगों को भी इस संकट के दौर से बाहर आने के लिए मदद की जानी चाहिए। यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है, जिसमें सभी वर्ग परेशानी में हैं। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार की बजाय केंद्र सरकार की भूमिका अधिक है।
कोरोना और लॉकडाउन से केवल मध्यम वर्ग नहीं, सभी वर्गों की परेशानियां बढ़ी हैं। खुद सरकारें भी विषम आर्थिक हालातों का सामना कर रही हैं। पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है, इससे निपटने के लिए सभी को कुछ त्याग करना पडे़गा। देश-प्रदेश और परिवारों को खर्चों में कटौती करनी पडे़गी। वित्तीय संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करना पडे़गा, तभी सबकी तकलीफें कम हो सकेंगी।
राजस्थान पहला राज्य है, जहां मजदूरों की परेशानी को दूर करने का लक्ष्य रखकर काम शुरू किया गया है। आमजनता, समाज और प्रशासन ने इसमें भरपूर सहयोग दिया है। कुछ काम-धंधे 20 अप्रेल के बाद शुरू हो जाएंगे तो कुछ लोगों को काम मिल जाएगा। उसके बाद आकलन कर शेष मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की योजनाएं बनाई जाएंगी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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