जयपुर :: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जनसंख्या के वर्तमान आंकड़ों के अनुरूप राज्य को खाद्य सुरक्षा योजना में प्रतिमाह 30 हजार मैट्रिक टन गेहूं अतिरिक्त आवंटित करने का आग्रह किया है। वर्तमान जनसंख्या के अनुसार प्रदेश में 54 लाख व्यक्ति पात्र होते हुए भी खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित हैं। केन्द्र इन जरूरतमंद लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा के तहत प्रदेश को यह अतिरिक्त गेहूं का आवंटन करे।
एनएफएसए के तहत केन्द्र द्वारा वर्ष 2011 की राज्य की 6 करोड़ 86 लाख की जनगणना को आधार मानते हुए शहरी क्षेत्र में 53 प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्र में 69 प्रतिशत व्यक्तियों की सीलिंग निर्धारित कर प्रदेश के 4.46 करोड़ परिवारों को प्रतिमाह 2 लाख 32 हजार 631 मैट्रिक टन गेहूं का आवंटन किया जा रहा है। जबकि वर्ष 2019 में राज्य की जनसंख्या करीब 7 करोड़ 74 लाख हो चुकी है। जिसमें ग्रामीण जनसंख्या 5 करोड़ 82 लाख तथा शहरी जनसंख्या 1 करोड़ 92 लाख है। ताजा जनसंख्या के आधार पर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में कुल 5.04 करोड़ व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा की इस महत्वपूर्ण योजना के दायरे में आने चाहिएं।
कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी आर्थिक संकट के चलते बेरोजगार हुए गरीबों, जरूरतमंदों, कामगारों तथा मेहनत-मजदूरी करके अपना जीवन पालने वाले लोगों की आजीविका पर गहरा संकट खड़ा हो गया है। इस विकट स्थिति में केन्द्र सहानुभूतिपूर्वक विचार कर खाद्य सुरक्षा योजना के तहत जनसंख्या के वर्तमान आंकड़ों के अनुरूप प्रदेश को अतिरिक्त गेहूं का आवंटन करे, ताकि इस अधिनियम की भावना के अनुरूप पात्र जरूरतमंद व्यक्तियों को लाभान्वित किया जा सके।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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