जयपुर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आम रोगियों को परेशानी का सामना नहीं करना पडे़, इसके लिए प्रदेशभर में बुधवार से 400 ओपीडी मोबाइल वैन संचालित की जाएंगी। ये मोबाइल वैन उपखण्ड मुख्यालयों के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर उपलब्ध होंगी और गांव-कस्बे तक पहुंचकर मरीजों को सामान्य बीमारियों का उपचार उपलब्ध करवाएंगी। किसी को गंभीर बीमारी होने की जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी जाएगी, ताकि रोगी को तुरंत इलाज मिल सके। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं।
जयपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पत्रकारों के साथ वार्ता करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी अस्पतालों में कोरोना के कारण नियमित रोगियों को समुचित उपचार सुविधा उपलब्ध नहीं होने की शिकायतें सामने आई हैं। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और कई अस्पतालों को नोटिस भी दिया है। निजी अस्पताल संकट की इस घड़ी में अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं, अन्यथा सरकार सख्ती से कार्रवाई करेगी। किसी भी निजी अस्पताल से किसी मरीज को बिना इलाज वापस लौटाने की शिकायत नहीं आए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की जंग लंबे समय तक जारी रह सकती है। ऐसे में राज्य सरकार संसाधनों में किसी तरह की कमी नहीं आने देगी। इस बीमारी से लड़ाई के लिए चिकित्साकर्मियों की कमी नहीं रहे, इसके लिए करीब 9 हजार एएनएम एवं जीएनएम के पदों पर नियुक्ति के संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। जल्द की इनकी नियुक्ति होगी। 12 हजार पदों पर होने वाली यह भर्ती न्यायालय में उलझ गई थी। अब सरकार ने 3674 न्यायिक प्रकरणों को छोड़कर शेष पदों पर नियुक्ति का निर्णय लिया है।
....मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि आर्थिक मंदी एवं कोरोना के कारण सभी राज्यों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। ऐसे में भारत सरकार को प्रोत्साहन पैकेज (स्टीम्यूलस पैकेज) देना चाहिए। डॉ. मनमोहन सिंह जी की सरकार के समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3 प्रतिशत प्रोत्साहन पैकेज दिया गया था। यूएसए ने कोरोना से पैदा हालातों को देखते हुए जीडीपी का 10 प्रतिशत तथा फ्रांस, जर्मनी एवं यूके ने जीडीपी का 15 प्रतिशत पैकेज दिया है, जबकि भारत सरकार ने केवल 0.8 प्रतिशत पैकेज दिया है, जो नाकाफी है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए ताकि राज्यों को इस संकट से बाहर आने में मदद मिल सके।
.भारत में संघीय ढांचे की व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार राज्यों की सलाह के आधार पर निर्णय ले। यदि कोई भी निर्णय आनन-फानन में लिया जाता है तो पूरे देश को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आग्रह है कि अगर देश में 3 मई से या जब भी लॉकडाउन खुलता है, उसकी तैयारी राज्यों की सलाह के साथ केंद्र सरकार को अभी से करनी चाहिए ताकि देशभर में सुनियोजित ढंग से आर्थिक गतिविधियां शुरू हो सकें।
कोरोना संक्रमण की वास्तविक स्थिति का आकलन करने के लिए जरूरी है कि टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाए। भारत सरकार इस पर गंभीरता से विचार करे। इस समय देश में प्रति दस लाख व्यक्तियों पर मात्र 291 टेस्ट हो रहे हैं, जबकि इतनी आबादी पर यूएई में 77 हजार, यूएसए में 12 हजार तथा स्पेन में 20 हजार तक जांचें हो रही हैं। हमारी कोशिश है कि न केवल जांचों की संख्या बढ़े बल्कि रिपोर्ट भी समय पर आए। इसके लिए हमारा जोर अधिक से अधिक पीसीआर किट प्राप्त करने पर है। इसके लिए हमने आईसीएमआर को न्यूक्लियर एक्सटेंशन किट की आपूर्ति बढ़ाने को कहा है। बैकलॉग खत्म करने के लिए हमने 4 हजार नमूने दिल्ली भेजे थे, जिनमें से 3800 की रिपोर्ट आ गई है। इनमें 80 पॉजीटिव आए हैं।
.पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में समय लगता है। इसी कारण हमने रैपिड टेस्ट पर जोर दिया था। उस समय मैंने प्रधानमंत्री जी के साथ वीडियो कांफ्रेंस में अनुरोध किया था कि पीपीई, मास्क, वेंटिलेटर, रैपिड एवं पीसीआर टेस्ट किट आदि की केन्द्रीयकृत खरीद हो, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। अब रैपिड टेस्ट के नतीजों पर देशभर में जो संदेह का वातावरण बना है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उस समय हमारे सुझावों को मान लिया जाता तो आज आईसीएमआर को रैपिड टेस्ट स्थगित करने की नौबत नहीं आती।
.मॉडिफाइड लॉकडाउन का यह मतलब नहीं कि लोग घरों से बाहर निकल जाएं। अगर ऐसा हुआ तो सख्त कार्रवाई होगी। आमजन पूरे आत्मानुशासन के साथ लॉकडाउन का पालन करें। लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर प्रदेशभर में 7 हजार 738 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। करीब 1 लाख 73 हजार वाहनों का चालान कर 2 करोड़ 59 लाख का जुर्माना वसूला गया है और 94 हजार वाहन जब्त किए गए हैं। इसी तरह निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर 1652 एवं सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं देने वाले 144 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
खाद्य एवं आवश्यक सामग्री की कालाबाजारी की कहीं भी शिकायत मिलती है, तो कड़ी कार्रवाई होगी। एडवाइजरी का पालन नहीं करने और निरीक्षण में अनियमितता पर अब तक 94 एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही 288 से अधिक राशन दुकानों के लाइसेंस निलम्बित किए गए हैं। लॉकडाउन के दौरान आमजन को सही दर पर सामान उपलब्ध करवाने के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है। मास्क, हैंड सेनेटाइजर, किराना सामान की एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ तीन हजार से अधिक निरीक्षण कर करीब 316 केस दर्ज किए हैं।
कोटा में अध्ययनरत अन्य राज्यों के कोचिंग स्टूडेंट्स को उनके घर पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। आज बिहार और बंगाल को छोड़कर अन्य राज्य इसके लिए तैयार हो गए हैं। हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द ये बच्चे संकट के इस समय में अपने घर पहुंच सकें। इसके लिए हम हरसम्भव सहयोग प्रदान करेंगे।
[11:25 pm, 21/04/2020] Reporters Digest: Ye photo kis khabar ka hai
[11:27 pm, 21/04/2020] Reporters Digest: ??
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ