सीकर।
शेखावाटी जनपद का दिल कहलाने वाले सीकर की माटी की खासियत रही है कि यहां जब जब भी किसी तरह की कूदरती आफतो का पहाड़ टूटा है तब तब इस माटी मे जन्मा कोई ना कोई लाल जरुरतमंदों की मदद के लिये हिमालय की तरह आ खड़ा होकर आम-अ्वाम के दुख-तकलीफ का हिस्सेदार व मददगार बनकर आफतो के दंश को हलका करके आम अवाम का दिल जीत लेता है। कोराना-19 के प्रकोप को हल्का करने के लिये सरकार द्वारा लोकडाऊन की घोषणा करने पर अनेक गरीब-लाचार व दिहाड़ी मजदूरो के सामने जीवन बचाने के लिये पैट को दो रोटी देने का भंयकर संकट आ खड़ा होने पर कूदन गावं के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले महरिया खानदान के लाडले व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया ने उस विकट परिस्थितियों मे भी एक क्षण गमाये जरुरतमंदों की मदद के लिये मोर्चा सम्भालते हुये अपने नेतृत्व मे संचालित सुधीर महरिया स्मृति संस्थान के बैनर तले प्रयाप्त खाद्य सामग्री के किट जरुरतमंदों तक पहुंचाने का जो काम शुरू करके उसको जारी रखे होने के सुखद अहसास उन जरुरतमंदों को सबसे अधिक हुवा होगा जीन तक उक्त खाद्य सामग्री के किट पहुंचे होगे।
राजस्थान मे कोविड-19 को लेकर बाईस मार्च को लोकडाऊन की घोषणा होने के साथ ही अगले दिन से मजदूर-गरीब व दिहाड़ी मजदूरों के अलावा सीकर या सीकर के बाहर के प्रदेश के अन्य जिलो के साथ साथ अन्य प्रदेशों के लोगों के सीकर मे रहकर रोज कुआं खोदकर पानी पीने की कहावत की तरह रोज कमाकर खाने वालो के सामने अपने व परिवार के पेट की आग को बूझाने का संकट एकसाथ आया तो उनमे से अधिकांश लोगो के मानो आसमान से हाथ छूट गये। लोकडाऊन के अगले दिन से सुभाष महरिया द्वारा खाद्य सामग्री के किट जरुरतमंदों तक पहुंचने लगे तो राहत की खबरे आने लगी।सूत्र बताते है कि इसी बीच दिल्ली से एक बडे सिनीयर राजनीतिक लीडर का संदेश महरिया के पास आया कि उनके प्रदेश के बडी तादाद मे सीकर मे मोजूद लोगो के पास खाने के लिये कुछ नही है। उनका चूल्हा भी जल नही रहा। तो बताते है कि महरिया ने उन सेंकड़ो परिवारों को तूरंत प्रयाप्त खाद्य सामग्री पहुंचाकर उनका चूल्हा जलवाकर अपना इंसानी फर्ज निभाया।
जानकारी अनुसार सुधीर महरिया स्मृति संस्थान के कार्यकर्ता लगातार जरुरतमंदों तक बीना रुके खाद्य सामग्री लगातार पहुंचा रहे है। कार्यकर्ताओं के मुताबिक वो तो अपने स्तर पर यह कार्य अंजाम देने मे लगे हुये है। साथ ही पच्चीस-तीस पार्षदों को उनकी जरूरत के हिसाब से अलग से दस दस खाद्य सामग्री के किट उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त अनेक सोशल वर्कर व राजनेताओं को भी उनके क्षेत्र की आवश्यकता अनुसार किट उपलब्ध करवाये गये है। जिनमे मै भी अपने आपको शामिल पाता हु।
हालांकि सुधीर महरिया स्मृति संस्थान के अलावा भी अनेक संस्थाओं ने राहत के कार्य किये है लेकिन लोकडाऊन की घोषणा के अगले दिन से शुरु करके अबतक लगातार खाद्य सामग्री किट देने वाली संस्था मात्र सुधीर महरिया स्मृति संस्थान ही है। जो संस्था आगे भी इस क्रम को जारी रखने का कह रही है। खाद्य सामग्री की जानकारी रखने वालो का मानना है कि एक परिवार के लिये पंद्रह दिन के लिये आवश्यक खाद्य सामग्री व अन्य जरूरत की चीजो का महरिया द्वारा बना कर उपलब्ध करवाये जाने वाले किट वितरण की तादाद को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि महरिया की निजी आय से अबतक 25-30 लाख रुपये आसानी से अबतक खर्च हो चुके होगे। प्रत्येक किट मे दस किलो आटा, दो तरह की दाल, तैल, चाय, चीनी, मसाला, साबुन, मास्क सहित अन्य सामग्री मोजूद होती है।
कुल मिलाकर यह है कि कोविड-19 व उसके बचाव के लिये जारी लोकडाऊन से उपजे हालात मे अपनी निजी आय मे से लाखो रुपयो की खाद्य सामग्री जरुरतमंदों तक समय पर उपलब्ध करवाने वाले सीकर के लाल पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया की लगातार जारी कोशिशों की जीतनी तारीफ की जाये वो कम हांकी जायेगी। महरिया द्वारा संकट के हालत मे लोगो के साथ खड़ा होने से दुख के अहसास के सुखद अहसास मे तब्दील होने मे काफी मदद मिलना माना जा रहा है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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