जन नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तुम्हारी दूरदर्शिता व सजगता को मानना पड़ेगा।
जयपुर।
कोराना वायरस के चलते खोफ मे आई भारत की जनता के बावजूद तेईस जनवरी तक संसद चल रही थी तब एक तरफ कोराना से संक्रमित मरीज की पार्टी मे शरीक होने वाला सांसद संसद भवन व राष्ट्रपति भवन तक जाकर आ रहा था। उसके पहले गहलोत ने बाईस मार्च को राजस्थान मे लोकडाऊन जारी करने के आदेश जारी कर दिये थे। दुसरी तरफ कुछ लोग जब थाली व ताली बजा रहे थे या बजाने की अपील कर रहे थे। वही दुसरी तरफ अशोक गहलोत हर सक्षम परिवार से अन्य दो परिवारों के लिये भोजन बनाकर जरुरतमंदों को देने की अपील कर रहे थे।
सेनेटाईजेसन, मास्क, मेडिकल उपकरण व कोराना से बचाव के लिये साधनो व लोकडाऊन से परेशान लोगो की मदद करने के लिये गहलोत राजस्थान के विधायको के निधि विकास कोटे से जरूरत के हिसाब से चाहे जीतनी रकम खर्च करने की छूट देकर जनता को राहत देने की अपील करने के साथ साथ प्रदेश मे किसी को भी भूखा नही सोने देने का प्रण दोहरा रहे है। लोकडाऊन के कारण परेशान दिहाड़ी मजदूरों को बसो से फ्री लेजाकर उनके मूल प्रदेश की सीमा तक छोड़ने का बेहतरीन कार्य अंजाम दिया है। वहीं अपने घर जाने से राजस्थान मे बचे दिहाड़ी मजदूरों व गरीबो तक हर हाल व हर किमत पर हर तरह की मदद पहुंचाने मे पुरे सरकारी तंत्र को लगा दिया है। एवं इसके अलावा इस संकट से उभरने के लिये के सक्षम लोगो की मदद भी ली जा रही है। वही दुसरी तरफ कुछ लोग एक निश्चित दिन नो मिनट मोमबत्ती, मोबाइल टार्च व दिया जलाने की बात कर रहे है।
राज्यों मे कोराना से लड़ने के लिये अन्य उपकरण व सेनेटाईजेसन की कमी की बात तो छोड़ो। लेकिन टेस्ट किट व लेब की कमी भी अब सबको सताने लगी है। भाजपा व जदयू के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने पांच लाख टेस्ट किट की मांग की थी। पर उसको अब तक केवल चार हजार किट ही मिल पाये है। बिहार अकेले के हालात ही ऐसे नही है बल्कि लगभग सभी राज्यों के हालात कमोबेश हालात एक जैसे ही है। मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश की जनता की चिकित्सा जांच (स्क्रीनिंग) करने मे लगे हुये है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की कोराना वायरस से लड़ने व लोकडाऊन से उपजे हालात से आम जनता को उभारने की कोशिश को स्वयं मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता का परिणाम ही माना जायेगा। गहलोत के फारमूले को अन्य राज्यों की सरकारों व केन्द्र की सरकार को अपनाने पर विचार करना चाहिए।
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