जयपुर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकना आज एक बड़ी जंग है, जिसे सभी लोगों को मिलकर लड़ना हैै। पूरी मानवता को बचाने के लिए इस संघर्ष में सभी वर्गों और समुदायों को आपसी भेदभाव से ऊपर उठकर मानवता की सेवा के लिए साथ मिलकर काम करना होगा। कोरोना वायरस जाति या धर्म नहीं देखता, इसलिए हमें भी इस लड़ाई में जाति, धर्म या राजनीतिक विचारधारा की बात या इनके आधार पर भेद नहीं करना चाहिए।
जयपुर केे विधायकों के साथ मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की। सोशल मीडिया पर संक्रमण को लेकर जाति-धर्म आधारित टिप्पणियों के बारे में कुछ विधायकों द्वारा उठाये गये सवालों पर कहा कि ऐसी टिप्पणियां उचित नहीं हैं, क्योंकि प्रदेश की सम्पूर्ण जनता इस गंभीर बीमारी के परिणामों को लेकर चिंतित है और इससे निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में सकारात्मक भूमिका निभा रही है।
इस संकट के दौर में ग्राम सेवकों, नर्सों, अध्यापकों, आशा सहयोगनियों, पुलिस कार्मिकों से लेकर अधिकारियों तक सभी सेवा भाव से काम कर रहे हैं और सभी की भूमिका सराहनीय है। ऐसे में, मरीजों की जांच और इलाज तथा खाने के पैकेट बांटने जैसे कार्यों में भी कोई भेदभाव नहीं हो सकता और ना ही होना चाहिए। प्रदेश सरकार राजस्थान में मरीजों की बढ़ रही संख्या पर चिंतित है और इससे निपटने के लिए सुविधाओं और संसाधनों के विस्तार की सम्पूर्ण योजना पर लगातार काम कर रही है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ