लखनऊ, :: कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा मुखिया अखिलेश यादव के बीच फोन पर हुई बातचीत पर निशाना साधते हुए इसे सपा और भाजपा के बीच मिलीभगत का ताजा उदाहरण बताया है।
गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने पिछले दिनों हुई इस बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा था कि यह पहला मौका नहीं है जब दोनों नेताओं में बातचीत हुई हो। ऐसा कहा जा रहा है कि योगी ने अखिलेश यादव से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगामी दौरों में उनके कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध न करने की बात कही थी।
शाहनवाज आलम ने कहा कि भले इसे शिष्टाचार वार्ता बता रहे हैं लेकिन मामला ऐसा नहीं है। आखिर दो कथित विरोधी दलों के नेताओं के बीच सीएए जैसे ज्वलंत मुद्दे पर जिसके चलते अनगिनत मुस्लिम लोग मारे जा चुके हैं उस पर मुसलमानों के वोट और नोट से पलने वाली पार्टी के मुखिया कैसे बात कर सकते हैं। अगर ये वास्तव में शिष्टाचार वार्ता थी तो अखिलेश यादव को मुसलमानों को बताना चाहिए कि उन्होंने आजम खान को फर्जी मुकदमों में जेल भेजने पर योगी से फोन पर अपनी आपत्ति क्यों नहीं जताई। अगर उन्होंने बात की हो तो वो बताएं। उन्होंने पूछा कि अखिलेश और योगी में शिष्टाचार वार्ता सिर्फ मुस्लिम विरोधी मुद्दों पर ही क्यों होती है।
अखिलेश यादव को सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं की चिंता होती है अपने संसदीय सीट आजमगढ़ की उस जनता की चिंता नहीं होती जहां की मुस्लिम महिलाओं पर सीएए का विरोध करने पर योगी की पुलिस ने लाठियों से हलमा किया और आंसू गैस के गोले बरसाए।
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि उन्होंने इस मुद्दे पर योगी से क्यों नहीं फोन पर बात की। शाहनवाज आलम ने कहा कि यादव परिवार का झगड़ा सार्वजनिक है। बेटे का बाप से नहीं पटता और भीतेजे का चाचा से नहीं पटता। लेकिन आखिर क्या वजह है कि पूरा परिवार हर महीने योगी जी के साथ गलबहियाँ करके फैमिली एलबम जैसी फोटो खिंचवाता है। उन्होंने तंज किया कि क्या वहां यादव कुनबा और योगी जी में मुसलमानों की सुरक्षा और उनके विकास के मुद्दों पर बात होती है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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