जयपुर।
राजस्थान से तीन राज्यसभा सदस्यों के लिये होने चुनाव मे विधायको की गणित के अनुसार भाजपा को मिलने वाली एक सीट के लिये भाजपा ने एक रणनीति के तहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जाती माली व उन्हीं के गोत्र गहलोत के साथ साथ उन्ही के शहर जोधपुर निवासी राजेन्द्र गहलोत को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित करके एक तीर से अनेक शिकार करने की कोशिश करने के साथ साथ मुख्यमंत्री को घेरने का एक प्रयास करना भी नजर आता है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़कर जोधपुर मे चुनौती देने वाले पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत को भाजपा ने उम्मीदवार बनाकर माली समाज के पूर्व मे राज्यसभा का कार्यकाल पुरा करने से पहले देहांत होने वाले मदनलाल सैनी (माली) की खाली हुई जगह को माली से भरकर माली समाज से सहानुभूति रखने का दिखाना भी भाजपा करती नजर आ रही है।
राजस्थान विधानसभा के दोसो विधायको मे से एक मात्र माली विधायक अशोक गहलोत को कांग्रेस ने तीसरी दफा मुख्यमंत्री बनाने की बात स्वयं मुख्यमंत्री अक्सर सभाओ व सार्वजनिक मंचो से कहते थकते नही है। लेकिन भाजपा की तरफ से अशोक गहलोत को चुनौती देने वाले उन्हीं की माली बिरादरी के पूर्व मंत्री व भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र गहलोत को उम्मीदवार बनाकर उनके क्षेत्र मे उनके मुकाबले एक मजबूत नेता नये तौर पर पैदा कर दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि भाजपा के तीन सदस्यों का राज्यसभा का कार्यकाल पुरा करके रिटायर होने पर 26-मार्च को होने वाले चुनावों के लिये तेराह मार्च नामांकन की अंतिम तिथि है। भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जबकि कांग्रेस की तरफ से दो उम्मीदवारों की घोषणा होना अभी बाकी है। इन चुनाव मे भाजपा को दो सदस्यों का नुकसान व कांग्रेस को दो सदस्यों का लाभ होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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