देहरादून, : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए 31 मार्च तक के लिये संपूर्ण प्रदेश में रविवार को लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है ।
सोशल मीडिया पर यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘‘ प्रदेश में 31 मार्च तक लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है और आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर बाक़ी सभी सेवाएँ स्थगित कर दी गयी हैं ।'’ उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदेश की जनता का घरों में रहना और सरकार के साथ सहयोग करना जरूरी है ।
मुख्यमंत्री रावत ने जनता को भरोसा दिलाया है कि इस दौरान खाद्यान्न और स्वास्थ्य ज़रूरतों का ध्यान रखा जाएगा।
उत्तराखंड में लॉकडाउन ऐसे दिन घोषित किया गया है जब आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सुबह सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन किया जा रहा है ।
इससे पहले जनता कर्फ्यू को सफल बनाने के लिए लोगों को दिये गए अपने धन्यवाद संदेश में मुख्यमंत्री ने इस बात के स्पष्ट संकेत दिये थे कि कोरोना वायरस के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत कठोर कदम उठाये जा सकते हैं ।
रावत ने कहा, ‘‘किसी भी प्रकार से खाद्यान्न और औषधियों की कमी हम नहीं होने देंगे और अगर आवश्यकता पडी तो हम घर—घर जाकर भी खाद्यान्न तथा औषधियां पहुंचायेंगे ।’’ उत्तराखंड में अभी तक कोरोना संक्रमण के तीन मामले सामने आए हैं और ये सभी देहरादून में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु वन अधिकारी हैं । ये सभी उन 28 अधिकारियों के दल में शामिल थे जिन्होंने हाल में स्पेन की यात्रा की थी ।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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