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दिल्ली हिंसा मे मुख्यमंत्री केजरीवाल को लालूप्रसाद यादव व महरिया से सीख लेनी चाहिए थी।

जयपुर।
              हाल ही मे दिल्ली मे भड़की भयानक हिंसा मे तीन दर्जन से अधिक भारतीय नागरिकों के मारे जाने व बेइंतहा माली नुकसान होने के साथ साथ दिल्ली जलते रहने के समय पर मुख्यमंत्री केजरीवाल को सांप सूघने की मुद्रा धारण करने की बजाय हिंसा को रोकने के लिये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया के तरीकें से सीख लेते हुये फील्ड मे आकर हिंसा रोकने की कोशिश करनी चाहिए थी। जिसमे वो पूरी तरह फिसड्डी साबित हुये है।
             2004-5 मे बिहार के मधुबनी मे यादव व मुस्लिमो के मध्य हिंसा (दंगा) भड़केने के बाद जब स्थिति विकराल रुप धारण करने लगी तो लालू यादव तत्कालीन समय मे मुख्यमंत्री नही होते हुये भी मधुबनी जाकर यादव समाज के लोगो के मध्य सर की पगड़ी उतार कर सामने रखकर कहा कि अगर मेरी व पगड़ी(साफा) की इज्ज़त चाहते हो तो तूरंत हिसा रुकनी चाहिए। लालू यादव का यह कहना था कि उसी समय हिंसा रुक गई ओर उसके बाद मधुबनी मे आज तक यादव व मुस्लिम दंगे नही हुये है।
         लालू यादव की ही तरह राजस्थान के सीकर शहर मे मामूली झड़प होने के बाद उसी 2004-5 की साल मे फतेहपुर रोड़ पर दो समुदायों मे तनावपूर्ण हालत होने पर दोनो तरफ भारी भीड़ आपस मे भीड़ने पर उतारु हो जाने की स्थिति के मध्य ही तत्कालीन सांसद सुभाष महरिया दोनो तरफ की भीड़ के बीचोबीच सड़क के मध्य पहुंच कर कहा कि जो भी वार (हमला) करेगा तो पहले उन पर करेगा। मोजूद दोनो तरफ की भारी भीड़ जो काफी उग्र होने के बावजूद महरिया के मोके पर जाने से आग पर पानी डालने पर ठण्डी होने के समान होकर शांतिपूर्ण माहोल बनने के बाद लोग चुपचाप अपने अपने घरो की तरफ लोट गये।
             हाल ही मे विधानसभा चुनाव मे दिल्ली की जनता ने 70 मे 62 सीट आम आदमी पार्टी को जीताकर पूर्ण विश्वास करते हुये अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने के बाद अम्न व शकून की उम्मीद की होगी। लेकिन जुम्मा जुम्मा आठ दिन भी नही हुये कि समाज दुश्मन अनासिरो ने दिल्ली को हिंसा की आग मे झूलसाने का जो गंदा काम किया उसकी तो निंदा होनी ही चाहिए लेकिन उस स्थिति मे अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया के मधुबनी व सीकर की हिंसा को रोकने के तरीकें पर मामूली सा अमल करके कुम्भकर्णी नींद लेने की बजाय जनता के मध्य आते तो यह तय था कि दिल्ली इतनी नही जलती जो अब जली है। दिल्ली जलने व इसी के मध्य छात्र नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ आनन फानन मे देश द्रोह के मुकदमे को चलाने की केजरीवाल द्वारा परमीशन देने से शक की सूई उनकी तरफ भी घूमने लगी है।


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