लखनऊ :: आजम खान के बहनोई जमीर खान के इस बयान पर कि आजम खान ने उनसे मुलाकात में कहा है कि सपा ने इस बुरे दौर में उनसे किनारा कस लिया है, कांग्रेस ने अखिलेश यादव से स्पष्टीकरण मांगा है।
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने जारी बयान में कहा कि आजम खान ने अपने साले जमीर खान से सपा द्वारा किनाराकशी की जो बात कही है उससे मुस्लिम समाज पहले से वाकिफ था। आज आजम खान ने मुसलमानों के दिल की बात कह दी है। शाहनवाज आलम ने कहा कि आजम खान ने सपा की जिस तरह पिछले 3 दशक से सेवा की वैसी किसी दूसरे सपा नेता ने नहीं की लेकिन सपा ने आज योगी सरकार द्वारा साम्प्रदायिक द्वेष के कारण फर्जी मुकदमों में जेल भेज दिए जाने के बावजूद उनको अकेला छोड़ दिया है जो सिर्फ दुखद ही नहीं बल्कि मुसलमानों के साथ धोखा है।
शाहनवाज आलम ने कहा कि आजम खान को 30 साल की सेवा का ऐसा इनाम देकर सपा ने साफ कर दिया है कि वो मुसलमानों से केवल वोट लेना जानती है उनके साथ खड़ा होना नहीं जानती। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को समझ लेना चाहिए कि जब सपा आजम खान जैसे अपने बड़े नेताओं के साथ नहीं खड़ी हो सकती तो वो फर्जी मुकदमों में फंसाये जाने वाले आम मुसलमानों के साथ कैसे खड़ी हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सपा ने अब तय कर लिया है उसे भविष्य में खुल कर हिंदुत्व की सेवा करनी है। इसीलिए आजम खान मामले से किनाराकशी करने से पहले अखिलेश यादव अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की बिलरियागंज की मुस्लिम महिलाओं के बीच भी अपनी मुस्लिम विरोधी मानसिकता के कारण नहीं गए जिन पर योगी की पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने पर बर्बर दमन किया था।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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