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‘विवाद से विश्वास योजना’ में विदेशी पंच-अदालतों के मामले भी आ सकते है: विभाग

नयी दिल्ली, ::  आयकर मामलों में मुकदमेबाजी खत्म करने के लिए घोषित ‘विवाद से विश्वास’ योजना के दायरे में उन मामलों का भी समाधान किया जा सकता है जो इस समय पंच-निर्णय के लिए विदेशी मंचों पर लंबित हैं।


आयकर विभाग ने शनिवार को प्रमुख दैनिक अखबारों में इस योजना के विषय में एक विज्ञापन जारी किया। इसमें इस योजना को आयकर विवाद निपटाने का एक ‘स्वर्णिम अवसर’ बताया गया है। इस विज्ञापन में विवाद से विश्वास योजना की मुख्य बातें बतायी गयी हैं।


सरकार ने इस योजना की अधिसूचना अभी जारी नहीं की है।


इसमें बताया गया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली फरवरी को आम बजट में यह जो योजना घोषित की है, उसमें आवेदन की पात्रता क्या है? इसके अंतर्गत किस किस प्रकार के विवादों का निपटान किया जा सकता है? और भुगतान की शर्तें क्या क्या होंगी?


इसमें कहा गया है कि विवाद वाले ऐसे मामले भी इस योजना के पात्र हैं, जहां भुगतान तो पहले किया जा किया जा चुका है, पर करदाता या कर विभाग ने मामले में अपील या रिट याचिका दायर कर रखी है।


इसी तरह भारत और भारत के बाहर पंच-निर्णय आदलतों में लंबित मामलों को भी इसके तहत निपटाया जा सकता है।


विज्ञापन के अनुसार इस साल 31 जनवरी से पहले दाखिल अपील और याचिका के मामले इस योजना में शामिल किए जा सकते हैं। वे आदेश भी इसमें आ सकते हैं, जिनमें अपील करने की अवधि गत 31 जनवरी से पहले खत्म नहीं हुई थी, विवाद निपटान समिति (डीआरपी) के समक्ष लंबित मामले जिसमें डीआरपी ने 31 जनवरी 2020 के पहले दिशानिर्देश जारी कर दिया था, पर कोई आदेश जारी नहीं किया गया था, ऐसे छापे के मामले जिसमें करदाता ने पुनरीक्षण दायर कर रखा है और जहां विवादित कर देनदारी 5 करोड़ रुयये से अधिक की नहीं है।


इस योजना में कर, दंड, ब्याज, शुल्क और टीडीएस तथा टीसीएस (स्रोत पर संग्रह) ऐसे सभी प्रकार के विवादों के समाधान के लिए आवेदन किया जा सकता है।


भुगतान के संबंध में शर्त है कि इसके तहत कर की शत-प्रतिशत राशि 31 मार्च तक जमा करनी होगी। छापे के मामलों में 31 मार्च तक विवादित कर के 125 प्रतिशत के बराबर की राशि जमा करानी होगी। लेकिन यदि अपील केवल दंड, ब्याज या शुल्क के विवाद को लेकर है तो उसमें 31 मार्च तक संबंधित राशि के केवल 25 प्रतिशत का भुगतान करना होगा।


31 मार्च 2020 के बाद योजना की समाप्ति 30 जून तक भुगतान करने पर करदाता को उपरोक्त स्थितियों में क्रमश: 110 प्रतिशत, 135 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से भुगतान करना होगा।


 


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