सीकर का शाहीनबाग आंदोलन ऐतिहासिक रुप धारण करने लगा।

 दस फरवरी को शाहीनबाग से अम्बेडकर की प्रतिमा तक केण्डल मार्च करके विरोध जताया जायेगा।   



सीकर।


          राजस्थान के कोटा-सवाईमाधोपुर-जयपुर व सीकर सहित अनेक जगह संविधान विरोधी कानून सीएए-एनपीआर व एनआरसी के खिलाफ महिलाएं दिल्ली के शाहीनबाग की तर्ज पर शाहीनबाग बनाकर आंदोलन करने की शुरुआत होने के बाद अब जाकर काफी विस्तार लेने लगा है। सोलह फरवरी से झूंझुनू शहर मे 56-घंटे का कर्बला मैदान मे शाहीनबाग शूरु होने की तैयारी मुकम्मल होने को है। पिछले 15-दिन से लगातार जारी सीकर का शाहीनबाग आंदोलन अब ऐतिहासिक रुप धारण करने लगा है।


                सीकर के शाहीनबाग मे आकर सेक्युलर दलो के किसी भी विधायक व पूर्व सांसद ने अभी तक समर्थन तो नही दिया है। लेकिन आम-अवाम के बडी तादाद मे धरना स्थल पर आकर समर्थन देने का सीलसीला लगातार गति पकड़ता जा रहाहै। खासतोर पर महिलाओं की तादाद मे लगातार इजाफा होने से आंदोलन घर घर पहुंच चुका है।


                   पंद्रह दिन से सीकर मे लगातार शाहीनबाग के जमावड़े के मध्य महिलाएं अपने आंदोलन को अलग अलग रुप देकर भी विरोध कर रही है। पहले एक दिन धरनास्थल से सभी महिलाएं जाट बजार जाकर सीएए की प्रतियां जलाकर बूलंद आवाज मे नारे लगाकर अपने आंदोलन को परवाज दी। उसके बाद अलग एक दिन उसी जाट बजार जाकर विरोध स्वरूप काले गुब्बारे छोड़कर विरोध जताया। अब दस फरवरी को शाहीनबाग से पांच बजे सभी महिलाएं उठकर अम्बेडकर सर्किल जाकर बाबा भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति तक केण्डल मार्च करके वापस शाहीनबाग आयेगी।


             कुल मिलाकर यह है कि काले कानून सीएए के अतिरिक्त एनपीआर व एनआरसी के खिलाफ सीकर मे महिलाओं के शाहीनबाग बनाकर किये आंदोलन ने महिलाओं को नई ताकत व समझ बक्सी है। वो अब अलग अलग तरह से आंदोलन को अलग रुप देकर केंद्र सरकार को झूकाने फर लगी है। महिलाएं लम्बे आंदोलन के लिये अपने आपको तैयार कर लिया है।



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