सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-दो को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) [एसबीएम (जी)] के दूसरे चरण को 2024-25 तक के लिए मंजूरी दे दी है। इसमें खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालयों में बेहतर सुविधाओं (ओडीएफ प्लस) पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा जिसमें खुले में शौच मुक्त अभियान को जारी रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) भी शामिल होगा। इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया जायेगा कि एक व्यक्ति भी न छूटे और हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे।


एसबीएम (जी) चरण- दो को वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक की अवधि के लिए  1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से मिशन मोड में कार्यान्वित किया जाएगा। यह वित्त पोषण के विभिन्न आयामों के बीच तालमेल का एक अच्छा मॉडल होगा इसमें से 52,497 करोड़ रुपये पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के बजट में से आवंटित किए जाएंगे जबकि शेष धनराशि को विशेष कर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 15वें वित्त आयोग, मनरेगा और राजस्व सृजन मॉडलों के तहत जारी की जा रही धनराशियों से वित्त पोषित किया जाएगा।  


इस कार्यक्रम के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा मानदंडों के अनुसार नये पात्र घरों को 12,000 रुपये की राशि प्रदान करने का प्रावधान जारी रहेगा। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के लिए वित्त पोषण मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया गया है और घरों की संख्या को प्रति व्यक्ति आय से बदल दिया गया है। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों (जीपी) को ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण (सीएमएससी) के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 2 लाख से 3 लाख रुपये कर दिया गया है।


इस कार्यक्रम को परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा, जो शीघ्र ही राज्यों को जारी किए जाएंगे। केन्द्र और राज्यों के बीच सभी घटकों के लिए  फंड शेयरिंग का ढांचा पूर्वोत्तर राज्यों एवं हिमालयी राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के बीच 90:10, अन्य राज्यों के बीच 60:40 और अन्य केन्द्र शासित प्रदेश के बीच 100:0 होगा।


ओडीएफ प्लस के एसएलडब्ल्यूएम घटक की निगरानी चार प्रमुख क्षेत्रों के आउटपुट-आउटकम संकेतकों के आधार पर की जाएगी: प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, जैव अपघटित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (जिसमें पशु अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है), धूसर जल प्रबंधन और मलयुक्त कीचड़ प्रबंधन।


एसबीएम-जी का दूसरा चरण रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को घरेलू शौचालय एवं सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से प्रोत्साहन देना जारी रखेगा। साथ ही एसएलडब्ल्यूएम के लिए बुनियादी ढांचे जैसे कि खाद के गड्ढे, सोखने वाले गड्ढे, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, शोधन संयंत्र आदि।


देश में ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 2 अक्टूबर 2014 को एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय 38.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इस मिशन के शुरू होने से 10 करोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया, परिमाणस्वरूप सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों ने स्वयं को 2 अक्टूबर 2019 को ओडीएफ घोषित किया। हालांकि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने सभी राज्यों को यह सलाह दी है कि वे इस बात की पुनः पुष्टि कर लें कि ऐसा कोई ग्रामीण घर न हो, जो शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहा हो और यह सुनिश्चित करने के दौरान अगर ऐसे किसी घर की पहचान होती है तो उसको व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण के लिए जरूरी सहायता प्रदान की जाये ताकि इस कार्यक्रम के अंतर्गत कोई भी पीछे न छूटे।


एसबीएम-जी चरण दो के लिए मंत्रिमंडल के अनुमोदन से ग्रामीण भारत को ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती का प्रभावी रूप से सामना करने और इससे देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार करने में मदद मिलेगी।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...