जयपुर।
महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार द्वारा मराठों को चोदाह व मुस्लिम को पांच प्रतिशत शैक्षणिक आरक्षण देने के लिये जारी किये अध्यादेश के बाद हुये विधानसभा चुनाव मे फडनवीस के नेतृत्व मे गठित भाजपा सरकार द्वारा मराठो के आरक्षण पर अमल जारी रखा एवं मुस्लिम आरक्षण पर अमल नही करने के चलते अध्यादेश की समय सीमा खत्म होने के बाद उस पर किसी भी रुप मे अमल नही होने के उपरांत अब 2020 मे नये तौर पर गठित शिवसेना गठबंधन सरकार ने फिर एक दफा मुस्लिम समुदाय को सरकारी स्कूल व कालेज मे पांच प्रतिशत शैक्षणिक आरक्षण देने की घोषणा करते हुये अल्पसंख्यक मामलात मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि इस सम्बंध मे नया अध्यादेश जारी होगा। जिसका सभी को मिलकर स्वागत करना होगा।
हालांकि शिवसेना गठबंधन सरकार की मुस्लिम शैक्षणिक आरक्षण देने के लिये अध्यादेश लाये जाने की घोषणा का भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री फडनवीस ने हमेशा की तरह विरोध करने का ऐहलान किया है। लेकिन सालो से अशिक्षा का दंश झेल रहे मुस्लिम समुदाय को शैक्षणिक अवसर प्रदान कर उनको मुख्यधारा मे लाकर वतन को मजबूती देने के लिये सरकार के मंत्री नवाब मलिक द्वारा मजबूती से की गई घोषणा पर अमल करने का दोहराया है।
शिवसेना-कांग्रेस व एनसीपी गठबंधन महाराष्ट्र सरकार द्वारा सरकारी स्कूल व कालेज मे शिक्षा के लिये प्रवेश पाने के लिये शैक्षिक तोर पर अति पीछड़े मुस्लिम समुदाय के लिये पांच प्रतिशत आरक्षण देने का अध्यादेश लाकर नये शैक्षणिक सत्र मे प्रवेश मे आरक्षण देने की घोषणा को सकारात्मक रुप मे लेना होगा। महाराष्ट्र सरकार की उक्त तरह की सकारात्मक पहल को राजस्थान-दिल्ली व मध्यप्रदेश सहित अन्य प्रदेश सरकारों को भी अपनाना चाहिए।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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