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भारत-अमेरिका संबंधों को आकार देने में चीन की भूमिका होती है: भारतीय अमेरिकी विद्वान

वाशिंगटन, ::  दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और अमेरिकी के बीच संबंधों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक चीन है। एक शीर्ष भारतीय-अमेरिकी विद्वान ने अपनी हाल में आई किताब में कहा है कि ऐसा केवल दो दशक से नहीं बल्कि भारत के आजादी के वक्त से है।


ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में इंडिया प्रोजेक्ट की निदेशक तथा विदेश नीति की वरिष्ठ फैलो तन्वी मदान ने वाशिंगटन में श्रोताओं से कहा, ‘‘आज इस सच को लगभग पूरा विश्व मान चुका है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का आकार-प्रकार और दिशा चीन तय करता है।’’


अपनी हाल में आई किताब ‘फेटफुल ट्राइंगल: हाऊ चीन शेप्ड यूएस-इंडिया रिलेशन्स ड्यूरिंग कोल्ड वार’ में लेखिका ने कहा है कि भारत-अमेरिका संबंधों पर चीन का प्रभाव नया या क्षणभंगुर नहीं है।


मदान ने कहा, ‘‘अमेरिका-भारत संबंधों में चीन की भूमिका कोई नई बात नहीं है। बल्कि यह देखने में आया है कि चीन का प्रभाव भारत की आजादी के शुरुआती दिनों जितना पुराना है।’’


ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में विदेश नीति की अंतरिम उपाध्यक्ष तथा निदेशक सुजेन मालोनी ने कहा कि भारत और अमेरिका के इतिहास के गहन शोध के दौरान मदान ने पाया कि किस तरह अमेरिका और भारत का चीन के प्रति नजरिया और नीति ने शीत युद्ध के दौरान उन दोनों के बीच के संबंधों को आकार दिया।


उन्होंने कहा कि आज के वक्त में चीन को लेकर भारत और अमेरिका के नजरिए में समानता है। इस खतरे के बारे में करना क्या है इसे लेकर भी दोनों देशों के बीच सहमति है।


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