लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा को जातिवाद का नंगानाच करने में कोई संकोच नहीं। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि अब भाजपा के इशारे पर शिक्षा-स्वास्थ्य में भी जातिवादी व्यवस्था लागू है। अपराध नियंत्रण में भी जातिवादी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। इस सबके चलते समाज में नफरत का जहर घुलता जा रहा है और आपसी सद्भाव तथा सौहार्द को क्षति पहुंच रही है। भाजपा जातिवादी पार्टी है।
भाजपा का इरादा समाज में अव्यवस्था पैदा कर कारपोरेट समाज का वर्चस्व स्थापित करना है। उसकी नीतियां गरीब, किसान और नौजवान विरोधी हैं। समाज में सबको उनकी संख्या के मुताबिक हक और सम्मान मिले इसके लिए समाजवादी पार्टी अरसे से जातीय जनगणना की मांग करती रही है। लेकिन भाजपा कांग्रेस की तरह इसे मानने को तैयार नहीं है क्योंकि तब उसका जातीय विभाजन का खेल खत्म हो जाएगा। एक बार जातीय जनगणना हो जाने पर समानुपातिक ढंग से सबकी हिस्सेदारी तय हो जाएगी। विकास और सामाजिक न्याय के लिए यह आवश्यक है।
दरअसल, भ्रामक प्रचार कर लोगों को गुमराह करने का भाजपा-आरएसएस का एजेण्डा बहुत पुराना है। इसी की रणनीति बनाकर वह अपने सघन अभियान में जुट गई है। इससे देश का बना बनाया तानाबाना टूटेगा और समाज में विघटन की स्थिति पैदा होगी। लोकतंत्र के लिए यह खतरे का संकेत है।
समाजवादी पार्टी प्रारम्भ से ही लोकतंत्र और समाजवाद के लिए प्रतिबद्ध रही है। वह समाज को जोड़ने और परस्पर प्रेम एवं विश्वास की स्थापना के लिए काम करती रही है। भाजपा जाति की आड़ में अराजकता को बढ़ावा देने का काम कर रही है। इससे समाज में हिंसा और वैमनस्य का विस्तार हुआ है। निःसंदेह इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है और उसे सन् 2022 में इसकी जवाबदेही जनता को देनी ही होगी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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