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बजट: मोदी ने की तारीफ, विपक्ष ने की आलोचना

नयी दिल्ली, :: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे ‘‘विजन और एक्शन’ से भरपूर बताया। भाजपा के अन्य शीर्ष नेताओं ने भी बजट की प्रशंसा की, लेकिन विपक्ष ने इसे आशाहीन करार दिया।


मोदी ने कहा कि बजट में जिन नए सुधारों का ऐलान किया गया है, वे अर्थव्यवस्था को गति देने, देश के प्रत्येक नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और इस दशक में अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करने का काम करेंगे।


उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस दशक के पहले बजट के लिए, जिसमें विजन भी है, एक्शन भी है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।’’


उन्होंने कहा, ‘‘बजट में जिन नए सुधारों का ऐलान किया गया है, वे अर्थव्यवस्था को गति देने, देश के प्रत्येक नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त करने और इस दशक में अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करने का काम करेंगे।’’


मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के संगठन नेताओं के साथ ही सहयोगी दलों के नेताओं ने बजट की प्रशंसा की।


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्रीय बजट किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के संकल्प को पूरा करेगा और करदाताओं को ‘‘अभूतपूर्व’’ राहत देगा।


भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बजट प्रस्तावों को ‘‘दूरदर्शी, समावेशी एवं बदलाव लाने वाला’’ करार देते हुए कहा कि यह समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करेगा ।


भाजपा के सहयोगी, लोजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे ‘‘ऐतिहासिक और विकास उन्मुखी’’ बताया।


केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बजट को ऐसे समय ‘‘सबसे व्यावहारिक’’ करार दिया जब विश्व अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है।


रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केन्द्रीय बजट की सराहना की और कहा कि यह विकास को बढ़ायेगा और अर्थव्यवस्था में मांग फिर से पैदा करेगा।


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बजट आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा।


वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश आम बजट को पूरी तरह खोखला करार देते हुए दावा किया कि बजट में कुछ ठोस नहीं है और इससे साबित होता है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की उम्मीद छोड़ चुकी है।


पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने बजट को लेकर सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि बजट में रोजगार सृजन एवं अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के ठोस उपाय नहीं हैं।


गांधी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज देश के सामने बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था की स्थिति प्रमुख मुद्दा हैं। लेकिन मुझे बजट में कोई ठोस विचार नहीं दिखा जिससे कहा जाए कि हमारे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।’’


पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आरोप लगाया कि ढाई घंटे से अधिक समय तक चला बजट भाषण आम लोगों से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा पर केंद्रित था।


 


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं होने का दावा करते हुए कहा कि इस बजट को लेकर वह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 10 में से एक या शून्य नंबर दे सकते हैं।


उन्होंने यह दावा भी किया कि बजट से साबित होता है कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की उम्मीद छोड़ चुकी है।


चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, 'मैंने हाल के वर्षों का सबसे लंबा बजट भाषण देखा। यह 160 मिनट तक चला। मुझे समझ नहीं आया कि बजट 2020-21 से क्या सन्देश देने का इरादा था।"


उन्होंने कहा, 'मुझे इस बजट में कोई यादगार विचार या बयान नहीं दिखा।'


पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने वित्त मंत्री पर तंज करते हुए कहा, ‘‘निर्मला (सीतारमण) जी, पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात जुमला ही निकली? बजट में रोज़गार शब्द का ज़िक्र तक नहीं ? पांच नए स्मार्ट सिटी बनाएंगे। पिछले सौ स्मार्ट सिटी का ज़िक्र तक नहीं!’’


कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, 'किसानों की आय दोगुना करने का वित्त मंत्री का दावा खोखला है और तथ्यात्मक वास्तविकता से परे है । कृषि विकास दर दो फीसदी हो गई है। आय दोगुनी करने के लिए कृषि विकास दर को 11 फीसदी रहना होगा।'


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने बजट में कर में कटौती को एकमात्र सकारात्मक पहलू बताते हुए कहा कि इससे मध्य वर्ग को राहत मिलेगी, इसके अलावा पूरा बजट दिशाहीन है।


वहीं, भाजपा के सहयोगी संगठन जदयू ने एक बयान में बजट का स्वागत किया, लेकिन कहा कि ‘‘आर्थिक और सामजिक मोर्चों’’ पर और अधिक किया जा सकता था। किसान अधिक की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन इस बारे में अधिक चर्चा नहीं हुई।


वहीं, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि बजट भाषण सबसे लंबा था, लेकिन इसमें दूरदर्शिता की कमी थी।


आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने बजट का विरोध किया और कहा कि सरकार शिक्षा में एफडीआई को बढ़ावा देगी जो एक बुरा विचार है।


तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा, ‘‘टैक्स कट की गोली मत दो। कर छूट को बारीकी से देखें। सरकार ने ऐसे देश में जहां सामाजिक सुरक्षा नहीं है, बचत पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि हटा दी है।’’


बसपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि यह बजट कुछ मुट्ठीभर पूंजीपतियों को छोड़कर बाकी सभी को मायूस करने वाला है।


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट को दिशाहीन बताते हुए कहा, ‘‘वित्त मंत्री ने इस दशक का पहला दिवालिया बजट पेश किया है।’’


केंद्रीय बजट की आलोचना करते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इसमें ‘‘लोगों की दिक्कतें’’ दूर करने के लिए कुछ नहीं किया गया।


वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि बजट से दिल्ली को काफी उम्मीद थी, लेकिन दिल्ली से एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया गया है।


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