अब हम हथियार आयातक नहीं, निर्यातक हैं : मोदी
लखनऊ, :: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्ववर्ती सरकारों को देश को रक्षा उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक बनाने का जिम्मेदार बताते हुए बुधवार को कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों के दौरान भारत के रक्षा निर्यात को पांच अरब डॉलर तक पहुंचाने का है।
प्रधानमंत्री ने लखनऊ में 11वें डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन अवसर पर कहा, ‘‘आज वैश्विक रक्षा उत्पाद निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ रही है। वर्ष 2014 में भारत का रक्षा निर्यात लगभग 2,000 करोड़ रुपए का था। वहीं, पिछले दो साल में यह करीब 17,000 करोड़ का रक्षा निर्यात कर चुका है। अब हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात को पांच अरब डॉलर यानी करीब 35,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने का है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा निर्माण क्षेत्र में भारत सैकड़ों वर्षों तक दुनिया की प्रमुख शक्तियों में रहा, लेकिन आजादी के बाद हमने अपनी इस ताकत का उपयोग उस तरह से नहीं किया जितना हम कर सकते थे। हमारी नीति और रणनीति आयात पर केंद्रित होकर रह गई। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा शस्त्र आयातक देश बन गया।’’
मोदी ने कहा, ‘‘आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं। पहला, अनुसंधान एवं विकास की उच्च क्षमता और दूसरा, उन शस्त्रों का उत्पादन। बीते पांच वर्षों में हमारी सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रीय नीति का प्रमुख अंग बनाया है। इसी नीति पर चलते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास तथा निर्माण के लिए देश में जरूरी मूलभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। आज इस क्षेत्र में निवेश एवं नवोन्मेष के लिए जरूरी वातावरण तैयार हो चुका है।’’
रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारी सरकार यह भी चाहती है कि रक्षा निर्माण सिर्फ सरकारी संस्थाओं तक ही सीमित न रहे बल्कि इसमें निजी क्षेत्र की भी बराबर की भागीदारी और साझीदारी हो। मैं समझता हूं कि उपयोगकर्ता और उत्पादक के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है।'
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा भारतीय आयुध निर्माता कंपनियों के लिए इंडस्ट्रियल लाइसेंसिंग प्रणाली को उदार बनाया गया है। इससे रक्षा क्षेत्र में नए कारोबारियों तथा लघु एवं मझोले उद्योगों का दाखिल होना आसान हुआ है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के बनने से मांग और निर्माण की प्रक्रिया और आसान होने वाली है। इनका निश्चित लाभ रक्षा क्षेत्र से जुड़े उद्योगों को होगा और इस क्षेत्र में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों को भी इसका फायदा होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत द्वारा रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। आज यहां एक्सपो में कई प्रोटोटाइप भी पेश किए गये हैं। हमारा लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों के दौरान रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता के कम से कम 25 उत्पाद विकसित किए जाएं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उनकी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नियमों को भी आसान और मित्रवत बनाया है। अब रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई का रास्ता साफ हुआ है, जिसमें से 49 फीसद ऑटोमेटिक रूप से संभव हो सकता है। पिछले पांच वर्षों में रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में करीब 1,700 करोड़ रुपए के एफडीआई आने का मार्ग बना है। ऐसे कदमों से विश्व आपूर्ति श्रृंखला में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर के विकास से रक्षा निर्माताओं को तो प्रोत्साहन मिलेगा ही साथ ही उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दूसरे छोटे उद्योगों को भी बल मिलेगा। रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे। अगले 5 वर्षों में इन डिफेंस कॉरिडोर में 20,000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य है। अब तक उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर के लिए 3,700 करोड़ और तमिलनाडु के कॉरिडोर के लिए 3,100 करोड़ों रुपए के निवेश की घोषणा भी हो चुकी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में रक्षा निर्माण को और गति देने के लिए नए लक्ष्य तय किए गए हैं। हमारा लक्ष्य रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या को अगले पांच वर्षों में 15,000 के पार पहुंचाना है।’’
मोदी ने यह सुझाव भी दिया कि देश के प्रमुख उद्योग एवं औद्योगिक इकाइयां मिलकर रक्षा निर्माण का एक साझा मंच तैयार करें जिससे वह रक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास और उत्पादन दोनों का ही लाभ उठा सकें।
मोदी ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का गलत इस्तेमाल, आतंकवाद और साइबर खतरे पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं। इनके मद्देनजर दुनिया के तमाम रक्षा बल नई प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में आने वाले कल की हर प्रौद्योगिकी के अनुसंधान और विकास पर काम हो रहा है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत ने अनेक रक्षा उत्पादों के निर्माण में तेजी हासिल की है। बीते 5 वर्षों में इसमें और ज्यादा तेजी आई है। वर्ष 2014 तक यहां सिर्फ 217 रक्षा लाइसेंस जारी किए गए थे, वहीं बीते 5 वर्षों में यह संख्या 460 हो गई है। चाहे वह आर्टिलरी गन हो, एयर क्रॉफ्ट कैरियर हो, पनडुब्बी हो, हल्के लड़ाकू विमान हो, लड़ाकू हेलीकॉप्टर हो, ऐसे अनेक साजोसामान आज भारत में ही बन रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जैसे—जैसे युग बदलता जा रहा है, सुरक्षा की चिंताएं और चुनौतियां और अधिक गंभीर होती जा रही हैं, इसलिए आज के इस डिफेंस एक्सपो की थीम भी आने वाले कल की चिंता और चुनौतियों से जुड़ी हुई है। 'डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन ऑफ डिफेंस' की थीम वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य तो है ही आने वाले समय में यह देश में रक्षा निर्माण के सबसे बड़े राज्य में से भी एक होने वाला है। इस बार का यह एक्सपो भारत का सबसे बड़ा एक्स्पो होने के साथ-साथ अब दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपो में से भी एक बन गया है।’’
उन्होंने कहा, दुनिया में जब 21वीं सदी की चर्चा होती है तो स्वाभाविक रूप से दुनिया का ध्यान भारत की तरफ केंद्रित होता है। आज का यह डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का जीता जागता सबूत है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘भारत के युवाओं के लिए रक्षा क्षेत्र में लाखों नए रोजगार के निर्माण का सपना कैसे पूरा हो सकता था, इसी स्थिति को बदलने के लिए वर्ष 2014 के बाद एक के बाद एक नीतिगत सुधार किए गए। पिछले पांच वर्षों में भारत में ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को लेकर अभूतपूर्व सुधार किया गया है, जिसका लाभ निश्चित तौर पर रक्षा क्षेत्र को भी मिल रहा है। आज भारत का मंत्र है 'मेक इन इंडिया, फॉर इंडिया, एंड फॉर वर्ल्ड'।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व पटल के साथ ही आज भारत आउटर स्पेस में भी अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी क्षमताएं तलाश कर रहा है। आउटर स्पेस में भारत की उपस्थिति पहले से ही मजबूत है और आने वाले वर्षों में यह और भी मजबूत होने वाली है। भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी 130 करोड़ भारतीयों को गवर्नेंस से लेकर सुरक्षा तक में अहम भूमिका निभा रही है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘रक्षा निर्माण को लेकर हमारी आकांक्षाएं किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं हैं। भारत का इतिहास देखा जाए तो वह आज से नहीं बल्कि हमेशा से विश्व शांति का भरोसेमंद साझीदार रहा है। दोनों विश्व युद्धों में हमारा कोई सीधा सरोकार न होते हुए भी भारत के हजारों जवान शहीद हुए थे। आज दुनियाभर में 6,000 से ज्यादा भारतीय सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में तैनात हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत दुनिया का एक प्रमुख एयरोस्पेस रिपेयर एंड ओवरऑल हब बनने की क्षमता रखता है। भारत में रक्षा निर्माण क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं। यहां प्रतिभा और प्रौद्योगिकी भी है, यहां इनोवेशन है और मूलभूत ढांचा भी है, यहां मित्रवत नीति है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सुरक्षा भी है, यहां मांग है, लोकतंत्र है और निर्णय लेने की क्षमता भी है।’’
मोदी ने कहा कि वह दुनिया के रक्षा निवेशकों और उद्यमियों को आमंत्रित करते हैं और यहां लगा उनका एक-एक पैसा उन्हें बड़े रिटर्न देगा तथा भारत को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।
कार्यक्रम को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सम्बोधित किया।
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