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आज है लीप दिवस


लखनऊ : पूरे चार वर्षों के बाद आयी है फरवरी की यह 29 तारीख । फरवरी माह का यह अंतिम  विशेष दिन एक लीप दिवस है। इसी दिन की वजह से यह वर्ष 2020 भी एक लीप वर्ष है। प्रति वर्ष दिनों की कुल संख्या 365 होती है। किंतु, लीप वर्ष के फरवरी माह में एक दिन की अतिरिक्त वृद्धि के साथ दिनों की यह संख्या 366 हो जाती है। सामान्यता चार से विभाजित होने वाले किसी वर्ष को लीप वर्ष माना जाता है। वर्तमान वर्ष 2020 भी पूर्णतया चार से विभाजित है, इसलिए यह वर्तमान वर्ष भी एक लीप वर्ष है। आगामी वर्ष 2024, 2028, 2032 आदि वर्ष भी लीप वर्ष होंगे। किंतु 29 फरवरी वाले सभी लीप वर्षो के लिए चार से विभाजित होना ही आवश्यक नहीं है। आगामी शताब्दी वर्ष जैसे 2100, 2200 व 2300 आदि सभी चार से विभाजित होने के बावजूद लीप वर्ष नहीं होंगे। अंतिम दो शून्य वाले वर्ष अर्थात शताब्दी वर्ष यदि 400 से विभाजित हो जाएं , तभी यह लीप वर्ष होंगे। ऐसे ज्ञानवर्धक व रोचक तथ्यों के साथ स्थानीय कैलेंडर विश्लेषक अतुल सक्सेना, गणित अध्यापक, लखनऊ पब्लिक स्कूल ने बताया कि लीप दिवस की कैलेंडर-वर्षो एवं सौर-वर्षो के मध्य समन्वय स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट एवं 45 सेकंड या लगभग 365.242189 दिनों का समय लगाती है। चार वर्षों में 29 फरवरी वाला एक लीप दिवस समायोजित कर कैलेंडर को सौर-दिवसों के तुल्य बनाया जाता है। इस तरह एक लीप वर्ष को मिलाकर चार वर्षों के हिसाब से एक औसत वर्ष 365.25 दिनो का होता है। इन्हीं गणनाओं के हिसाब से प्रतिवर्ष औसतन 0.007811 दिन का मान भी आगे बढ़ जाता है। प्रति 400 वर्षों में यह औसतन मान लगभग तीन दिवसों के बराबर होता है। चार सौ वर्षों में तीन शताब्दी वर्षो को सामान्य वर्ष मानकर कालक्रम को इस तरह से ग्रेगोरियन संशोधन द्वारा सुव्यवस्थित कर सौर-वर्षो के अनुरूप कर लिया जाता है।


 


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