सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

विवाद के बाद राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गैंगस्टर से मुलाकात वाली टिप्पणी वापस ली

मुम्बई, : शिवसेना नेता संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गैंगस्टर करीम लाला से मुलाकात वाली अपनी टिप्पणी गुरुवार को वापस ले ली।


राउत ने हालांकि अपना बयान वापस लेने से पहले कहा था कि मुम्बई के इतिहास की समझ ना रखने वालों ने उनके बयान को ‘‘तोड़-मरोड़’’ डाला और करीम लाला पठान समुदाय का प्रतिनिधि करते थे इसलिए गांधी ने उनसे मुलाकात की थी।


कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा और संजय निरुपम ने राउत के बयान की निंदा की और उनसे बयान वापस लेने की मांग भी की थी।


राउत ने बयान वापस लेते हुए कहा, ‘‘ अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी की छवि को नुकसान पहुंचा या किसी की भावनाएं आहत हुईं, तो मैं उसे वापस लेता हूं।’’


राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘‘ मैंने पहले भी उनका (गांधी का) पक्ष लिया है और उन लोगों से लड़ा हूं जिन्होंने उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया। जबकि कुछ मामलों में तो, कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी चुप्पी साधे रखी।’’


गौरतलब है कि पुणे में लोकमत मीडिया समूह के एक कार्यक्रम के दौरान दिए एक साक्षात्कार में राउत ने दावा किया था, ‘‘ जब (अंडरवर्ल्ड डॉन) हाजी मस्तान मंत्रालय आए थे, तो पूरा सचिवालय उन्हें देखने नीचे आ गया था। इंदिरा गांधी पायधुनी (दक्षिण मुम्बई) में करीम लाला से मिला करती थीं।’’


उन्होंने यह भी कहा था कि ‘‘ वे (अंडरवर्ल्ड) ही यह तय करते थे कि मुम्बई पुलिस आयुक्त कौन होगा और कौन मंत्रालय में नियुक्त होगा।’’


करीम लाला, मस्तान मिर्जा उर्फ हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार मुम्बई के बड़े माफिया सरगना थे, जो 1960 से लेकर अस्सी के दशक तक सक्रिय रहे।


इससे पहले आज गरुवार सुबह राउत ने अपने बयान का बचाव करते हुए ट्वीट किया था, ‘‘ करीम लाला पठान समुदाय के नेता थे और 'पख्तून-इ-हिन्द' नाम के संगठन का नेतृत्व करते थे। इसलिए पठान समुदाय के नेता के तौर उन्होंने इंदिरा गांधी सहित कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। बहरहाल, जिन्हें मुम्बई के इतिहास की जानकारी नहीं है, वे मेरे बयान को तोड़-मरोड़ रहे हैं।’’


राज्यसभा सांसद ने अन्य एक ट्वीट में शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजीव सातव को टैग करते हुए कहा, ‘‘ मैं लौह महिला के रूप में इंदिरा गांधी की प्रशंसा करने से कभी नहीं कतराया, जो कड़े निर्णय लेती थीं। ताज्जुब की बात यह है कि जो लोग इंदिरा जी का इतिहास नहीं जानते वे ही हल्ला मचा रहे हैं। ’’


वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सवाल उठाया कि क्या (उस समय) यह राज्य में ‘‘राजनीति के अपराधीकरण’’ की शुरुआत थी और क्या कांग्रेस ने मुम्बई में हमला करने वालों का ‘‘ साथ ’’ दिया था।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...