लखनऊ, : राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हुए हिसंक प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी और कांग्रेस प्रवक्ता सदफ जाफर को मंगलवार को जेल से रिहा कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि स्थानीय अदालत ने शनिवार को उन्हें जमानत दी थी, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी न होने के कारण उनकी जेल से रिहाई नहीं हो सकी थी।
कांग्रेस के नगर अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान ने बताया कि आज सुबह करीब 10 बजे वे जेल से रिहा हो गये।
उन्होंने बताया, “मैं पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दोनों को लेने जेल गया था। हमारी पार्टी संशोधित नागरिकता विधेयक के विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता का विरोध करती है।”
सदफ को 19 दिसंबर को और दारापुरी को 20 दिसंबर को गिरफतार किया गया था।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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