उपराष्ट्रपति ने लोगों से जातिविहीन समाज निर्माण करने का आग्रह किया

उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकेया नायडू ने लोगों से पेजावरा श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी जी के दिखाए रास्ते पर चलने तथा भारत में एक जातिविहीन समाज के निर्माण के लिए कार्य करने का आग्रह किया।


उन्होंने कहा कि श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी जी जैसे संत दुखी और पीड़ित लोगों को सहायता तथा शांति प्रदान करते हैं एवं जरूरतमंद लोगों एवं गरीबों को तुरंत मदद पहुंचाते हैं।


आज पूर्णाप्रग्ना विद्यापीठ, बैंगलुरू में श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी जी भारत के महान संतों, ऋषियों और मुनियों की परंपरा से आते हैं जिन्होंने समाज का पथ प्रदर्शन किया।


उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन संतों ने समाज के कल्याण को सबसे ऊपर रखा। दधीचि ऋषि ने अपने जीवन की आहुति दे दी थी ताकि समाज सच्चाई के रास्ते पर चलता रहे।


श्री नायडू ने कहा कि श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी जी का जीवन समाज के लिए समर्पित जीवन का एक उदाहरण है। स्वामी जी ने वर्तमान समाज के सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के शुद्धिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित किया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि पेजावरा स्वामी जी गांधी के सिद्धांत “मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है” में विश्वास करते थे। स्वामी जी ने यात्राओं, उपदेशों व बातचीत के माध्यम से पूरे देश के असंख्य लोगों को प्रभावित किया। वे श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों के सच्चे मानव रूप थे।


उन्होंने कहा कि श्री पेजावरा स्वामी जी एक प्रगतिशील दृष्टि रखने वाले संत थे। वे आधुनिक भारत के पहले आध्यात्मिक नेताओं में एक थे, जिन्होंने दलितों को हिन्दू समाज का अभिन्न अंग माना।


स्वामी जी का नाम भारत के अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सेवा के लिए याद किया जाता है। स्वामी जी ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोगों को राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा में लाने के लिए कड़ी मेहनत की।


उपराष्ट्रपति ने पूर्णप्रग्ना विद्यापीठ की स्थापना में स्वामी जी के योगदान को याद किया। यह विद्यापीठ एक संस्कृत आध्यात्मिक पाठशाला है। स्वामी जी ने संस्कृत में शैक्षणिक शोध को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयास किए।


कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री श्री सी.एन. अश्वथ नारायण और श्री पेजावरा मठ के श्री विश्वप्रसन्नतीर्थ स्वामीजी जैसे गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।


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