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उप-राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों से किसानों की समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान निकालने को कहा

उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज वैज्ञानिक समुदाय का आह्वान किया कि वह किसानों के सामने मौजूद समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान ढूंढ़े और फसलों की उत्पादकता को किसानों की आमदनी में सुधार लाएं।


उन्होंने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे फसलों को जलवायु के अनुकूल, पोषण की दृष्टि से गुणकारी और पानी के कम खर्च वाला बनाने के तरीके ढूंढ़े।


बेंगलुरु में 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में समापन भाषण देते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु में परिवर्तन मौसम के मिजाज को अप्रत्याशित तरीके प्रभावित कर रही है और इससे बड़े पैमाने पर तबाही हो रही है। उन्होंने वैज्ञानिकों से जानना चाहा कि क्या प्रकृति की मार के कारण किसानों के सामने आने वाली समस्याओं को कम किया जा सकता है।


सम्मिलित प्रयास करने का आह्वान करते हुए श्री नायडू ने किसानों की आमदनी में सुधार के लिए उत्पादन से पूर्व की अवस्था से लेकर उत्पादन के बाद तक की अवस्था और फसल के विपणन पर निवेश करके कृषि मूल्य श्रृंखला में मात्रा और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाने में टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।


इस बात का जिक्र करते हुए कि किस प्रकार टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को और अधिक आसान बना रही है, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि साथ ही नई चुनौतियां भी उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान को अन्य बातों के अलावा बढ़ते शहरीकरण, प्रदूषण, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विभाजन, विषाणु रोधी बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता, जेनेटिक और गैर-संचारी रोगों तथा पानी की कमी जैसी समस्याओं का समाधान अवश्य निकालना चाहिए।


देश में मजबूत वैज्ञानिक संस्कृति के प्रसार की आधारशिला रखने का स्कूलों से आग्रह करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की आधारशिला सृजनात्मकता और नवोन्मेष को बढ़ाने के लिए पर्यावरण प्रणाली तैयार करने का आधार बन जाएगी।


उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूल के स्तर से ही खोज, जिज्ञासा और वैज्ञानिक सोच की भावना को बढ़ाना समय की मांग है।


यह कहते हुए कि हमारे विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक संस्थानों में बड़े पैमाने पर अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने की जबरदस्त आवश्यकता है, उप-राष्ट्रपति ने अनुसंधान और नवोन्मेष को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक समुदाय और उद्योग के बीच संपर्क बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी संबंधी अविष्कार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रमुख चालक हैं, इससे लोगों के जीवन में सुधार आता है और उन्‍हें बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।


श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि किसी भी अन्य देश के विपरीत भारत अपनी जनसंख्या का लाभ उठा सकता है और यदि हमारे विश्वविद्यालय और वैज्ञानिक संस्थान अनुसंधान और विकास पर अधिक निवेश करें तथा अनुसंधान के मानकों का स्तर अर्थपूर्ण तरीके से ऊपर उठाएं तो भारत नवोन्मेष और ज्ञान के केन्‍द्र के रूप में उभर सकता है।


उप-राष्ट्रपति ने भारत के कॉरपोरेट जगत से आग्रह किया कि वह भविष्य की दर्जनों परियोजनाओं की पहचान करने और उनमें पूंजी लगाने के लिए विश्वविद्यालयों के साथ द्विपक्षीय साझेदारी विकसित करे।


यह राय व्‍यक्‍त करते हुए कि भारत नये जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़ रहा है, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उसे 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए विज्ञान और टेक्नोलॉजी के साथ जनसंख्या का लाभ अवश्य उठाना चाहिए।


श्री नायडू ने सरकार की विभिन्न पहलों जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया की सराहना करते हुए कहा कि ये स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देते हैं, जिससे लोग डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनते हैं और नए आविष्कारों के जरिये धन संपत्ति का सृजन कर पाते हैं।


उन्होंने वरिष्ठ वैज्ञानिकों से कहा कि वे ऐसी योजनाओं का लाभ युवाओं तक पहुंचाने के लिए उन्‍हें परामर्श दें और उनके साथ सहयोग करने के साथ-साथ उनकी वैज्ञानिक और उद्यम संबंधी संभावनाओं को हकीकत में बदलें।


इस अवसर पर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी.एस. येदियुरप्पा, भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष श्री के.एस. रंगप्पा और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु के कुलपति डॉ. एस. राजेंद्र प्रसाद मौजूद थे।


 


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