उज्जैन में किन्नर दे रहे ‘सफाई की बधाई’

उज्जैन, : महाकाल की नगरी उज्जैन में किन्नर समुदाय ने शहर की साफ-सफाई का बीड़ा उठाया है। उज्जैन नगर निगम के एक विशेष अभियान के तहत यहां किन्नर समुदाय लोगों को घर-घर जाकर स्वच्छता के साथ ही गीला-सूखा कचरा अलग-अलग रखने के प्रति जागरुक कर रहा है। उनकी बात मानने वालों को किन्नर समुदाय के ये लोग बधाइयां और आशीर्वाद भी दे रहे हैं।


उज्जैन नगर निगम ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से समाज के हर वर्ग को जोड़ने के लिए मार्च 2019 में किन्नर समुदाय की स्थानीय नेता शबनम बुआ के साथ मिलकर ‘बधाई से सफाई’ अभियान की शुरूआत की। इसके तहत निगम अपनी कचरा इकट्ठा करने वाली गाड़ियों के साथ किन्नर समुदाय के सदस्यों को घर-घर भेजता है, जो लोगों को अपने क्षेत्र की साफ-सफाई रखने के साथ-साथ कचरा अलग-अलग रखने के लिए भी जागरुक करते हैं।


उज्जैन नगर निगम के आयुक्त ऋषि गर्ग ने इस संबंध में ‘भाषा’ को बताया, ‘‘किन्नर समुदाय के पेशे में उनके पास लोगों से अपनी बात मनवाने का हुनर होता है। हमने इसका सकारात्मक इस्तेमाल कर उन्हें स्वच्छ भारत से जोड़ा। अब वह लोगों के घर-घर जाकर उन्हें साफ-सफाई के लाभ के साथ-साथ कचरा अलग-अलग रखने के लिए जागरुक करते हैं। इसके अलावा उन्हें सही जगह पर कचरा फेंकने की सलाह देते हैं।’’


हालांकि नगर निगम के लिए यह अभियान शुरू करना इतना भी आसान नहीं था। गर्ग ने बताया कि किन्नर समुदाय को डर था कि इस अभियान से जुड़ने पर उनकी आजीविका प्रभावित होगी क्योंकि यह पूरा अभियान ‘स्वयंसेवा है’ इसके लिए कोई वेतन या भत्ता नहीं मिलता है। इसलिए हमने पहले उन्हें समझाया कि यह समाज से जुड़़ने का एक अच्छा अवसर है। फिर इस अभियान को पायलट आधार पर कुछ मोहल्लों में चलाया गया और अब यह पूरे शहर में चल रहा है।


उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान को लेकर सिर्फ किन्नर समुदाय ही सशंकित नहीं था। समाज से भी हमें मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। लेकिन किन्नर समुदाय के साथ जुड़ने का लाभ भी हुआ। समाज उनके आशीर्वाद को बहुत मान्यता देता है। ऐसे में कचरा अलग-अलग रखने की उनकी बात सुनता और मानता है।’’


उन्होंने कहा, ‘‘समाज में जो अपने घर और आसपास को स्वच्छ रखता है, किन्नर समुदाय के लोग उन्हें बधाइयां और आशीर्वाद देते हैं।’’ इसलिए इस अभियान का नाम भी ‘‘बधाई से सफाई’’ रखा गया है।


किन्नर समुदाय की सदस्य पलक दीदी ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘महाकाल हम सबके ईष्ट हैं और इस शहर के स्वामी भी। जब उनके शहर को साफ रखने की पहल से जुड़ने का मौका मिला तो हमने भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। अब लोगों से भी हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है।’’


उज्जैन नगर निगम ने साफ-सफाई के लिए और नवोन्मेषी उपाय भी किए हैं। इसमें सबसे प्रमुख क्षिप्रा नदी के तट पर स्नान के बाद लोगों द्वारा छोड़े गए कपड़ों का इस्तेमाल कागज बनाने में और महाकाल मंदिर के फूलों का इस्तेमाल अगरबत्ती-धूपबत्ती बनाने में करना प्रमुख है।


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