भोपाल, : भोपाल की एक अदालत ने आपसी रंजिश के चलते पडोसियों पर तेजाब फेंकने वाले 42 वर्षीय एक व्यक्ति को शुक्रवार को दोषी करार देते हुए दस साल की कैद की सजा सुनायी और उस पर 1,700 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी योगेश तिवारी ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश सी एम उपाध्याय की अदालत ने आरोपी अज्जू नाई उर्फ अजीज अली को भादंसं की धारा 326 ए के तहत दोषी ठहराते हुए उसे दस साल की कैद की सजा सुनायी और उस पर 1700 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
उन्होंने बताया कि एक मई 2016 को ऐशबाग थाना क्षेत्र में पुष्पा नगर स्थित पेट्रोल पंप के पीछे रात साढ़े बारह बजे सलमान अहमद आरोपी के घर के सामने किसी से बात कर रहा था, तभी अज्जू नाई अपने घर से बाहर निकला और सलमान को गालियां देते हुए उसके चेहरे पर तेजाब फेंक कर दिया।
उन्होंने बताया कि सलमान अहमद गम्भीर रूप जख्मी हो गया और उसकी आंखों में बहुत जख्म पहुंचा। उन्होंने बताया कि उसकी आवाज सुनकर उसका भाई फरहान बाहर आया तो आरोपी ने उसके ऊपर भी बचा हुआ तेजाब फेंक दिया, फरहान भी जख्मी हो गया।
तिवारी ने बताया कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादंस की धारा 326 ए, 506 व 294 के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर मामला अदालत में पेश किया। पुलिस ने घटनास्थल से सामग्री जप्त कर जांच के लिए प्रयोग शाला भेजा था जहाँ से तेजाब हमले की रिपोर्ट अदालत को प्राप्त हुई।
उन्होंने बताया कि अदालत ने मामले में सामने आए साक्ष्य और गवाही को ध्यान में रखते हुए आरोपी को सम्बद्ध धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए दस साल की कैद के साथ जुर्माने से दण्डित किया है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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