वाशिंगटन, : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ऐतिहासिक महाभियोग की सुनवाई बृहस्पतिवार को सीनेट में शुरू हो गई।
सीनेट में सांसदों ने शपथ ली कि वह इस बारे में निष्पक्ष निर्णय लेंगे कि अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति को पद से हटाया जाए या नहीं।
अमेरिका के इतिहास में ऐसा तीन बार हुआ है जब सीनेट चैंबर उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट की अध्यक्षता में महाभियोग की अदालत में तब्दील हो गया।
रॉबर्ट ने सीनेटरों को ‘निष्पक्ष न्याय’ करने की शपथ दिलाई। इस दौरान 99 सांसद मौजूद थे और एक अनुपस्थित थे।
ट्रंप कई महीनों से महाभियोग की प्रक्रिया का मजाक बना रहे हैं और सुनवाई की शुरुआत को उन्होंने ‘फर्जी’ करार दिया है। उन्होंने ओवल कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इसे बहुत जल्दी खत्म होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है।’’
ट्रंप ने कहा कि उन्हें एक फर्जी प्रक्रिया से गुजरना होगा ताकि डेमोक्रेट इसे आजमा सकें और चुनाव जीत सकें।
डेमोक्रेट बहुल प्रतिनिधि सभा में ट्रंप पर 18 दिसंबर को महाभियोग चल चुका है। लेकिन सीनेट में उनके बरी होने की संभावना है क्योंकि यहां रिपब्लिक सदस्यों की संख्या ज्यादा है और ट्रंप को दोषी ठहराने और राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी।
शपथ लेने के बाद सीनेट को मंगलवार दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
रिपब्लिक के एक सीनेटर जेम्स इनहोफ पारिवारिक कारणों से शपथ लेने नहीं पहुंचे थे। हालांकि उन्होंने कहा है कि वह मंगलवार तक आ जाएंगे और उन्हें शपथ दिलाई जाएगी।
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने डेमोक्रेट प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के खिलाफ जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाकर सत्ता का दुरुपयोग किया और कांग्रेस को बाधित किया।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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