सीकर जिले मे प्रथम चरण के 161 पंचायत चुनाव मे मात्र 2 मुस्लिम सरपंच बने

सीकर।
           राजनीति के मैदान मे मुस्लिम समुदाय को वैसे तो हमेशा से कौरा माना जाता रहा है।लेकिन पीछले कुछ हर्से से शिक्षा की तरफ रुझान बढने के चलते माना जाने लगा था कि अब मुस्लिम युवाओ का दखल राजनीति मे भी जौर पकड़ेगा लेकिन अफसोस ऐसा सम्भव नही हो पाया। देर रात सीकर जिले की कुल 161 पंचायत के सरपंच बनने के परिणाम आये जिनमे अनेक ग्राम पंचायतो मे चुनाव लड़ने के बावजूद लक्ष्मनगढ पंचायत समिति के चूड़ी मियां व खीरवा पंचायत मात्र से मुस्लिम सरपंच जीतने मे कामयाब रहे। बाकी जगह चुनाव तो लड़ा लेकिन जीत मे अपने ही स्वयं की जीत के रोड़े साबित हुये।
           जिले की नीमकाथाना पंचायत समिति मे 34-ग्राम पंचायत, पाटन पंचायत समिति मे 22-ग्राम पंचायत, पलसाना पंचायत समिति मे 29-ग्राम पंचायत, लक्ष्मनगढ पंचायत समिति मे 35-ग्राम पंचायत, नेछवा पंचायत समिति मे 18-ग्राम पंचायत, व अजीतगढ़ पंचायत समिति मे 23-ग्राम पंचायत मे हुये चुनाव के आये परिणाम मे मात्र दो मुस्लिम सरपंच चुनाव जीत कर आये। जिनमें लक्ष्मनगढ पंचायत समिति की चूड़ी मियां से अमरीन बानो व खीरवा से रशीदा बानो शामिल है।
           चोथे चरण के स्थगित पंचायत चुनाव के मोजूदा स्वरूप के अनुसार धोद पंचायत समिति की कासली व किरडोली पंचायत के अलावा फतेहपुर पंचायत समिति की रोलसाहबसर एससी के लिए आरक्षित है। जहां से मुस्लिम सरपंच बनने की उम्मीद थी। अगर चोथे चरण के चुनाव के लिये दूबारा लोटरी निकलती है तो उसके बाद अलग हालात बन सकते है। वरना फतेहपुर पंचायत समिति की बेसवा व भींचरी के अलावा एक ओर अन्य से मुस्लिम सरपंच चुनाव जीतकर ओर आ सकते है।
          कुल मिलाकर यह है कि पंचायत चुनाव जातीय आधार नही होते है। लेकिन राजनीति मे उचित भागीदारी पाकर वतन की खिदमत करने के लिये मुस्लिम युवाओ को तो कम से कम गावं की सरकार से लेकर ऊपरी सरकार के चुनावों तक तौर-तरीकों से सीख लेने पर जरुर सोचना चाहिए।


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