गांधीनगर : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को आरोप लगाया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर विपक्ष दलों द्वारा फैलाए गए ‘‘झूठ’’ ने देश में अराजकता पैदा की है।
शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल तथा वामपंथियों को चुनौती दी कि वे सीएए में एक भी ऐसा प्रावधान दिखा दें जो देश के मुसलमानों से उनकी नागरिकता छीनती हो।
यह रेखांकित करते हुए कि सुरक्षा (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी सरकर की पहली प्राथमिकता है, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने जब सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक किया तब वह ऐसा करने वाला अमेरिका और इज़राइल के बाद तीसरा देश बन गया।
शाह ने आरोप लगाया, ‘‘विपक्ष के पास और कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वे सीएए के बारे में झूठ और भ्रम फैला रहे हैं। इस कारण पूरे देश में अराजकता का माहौल बन गया है।’’
उनका बयान सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर पूरे देश में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच आया है।
गुजरात पुलिस की विभिन्न परियाजनाओं के उद्घाटन के लिए आयोजित समारोह में उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को अपनी सुरक्षा के लिए भारत आना पड़ रहा है। लेकिन, पिछली सरकारों ने उन लोगों को यह सोच कर कोई सुविधा नहीं दी कि इससे दूसरे नाराज होंगे।’’
शाह ने कहा, ‘‘राहुल, ममता, केजरीवाल और वामपंथी अफवाहें फैला रहे हैं कि सीएए मुसलमानों की नागरिकता छीन लेगा। मैं उन्हें कानून में ऐसा कोई भी प्रावधान दिखाने की चुनौती देता हूं।’’
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैं भाजपा कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता हूं कि वे घर-घर जाएं और सीएए के खिलाफ फैलाए गए झूठ और भ्रम का पर्दाफाश करें। चूंकि वर्तमान में राजनीति में मोदीजी का कोई विकल्प नहीं है, विपक्ष झूठ फैला रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास लोगों को सच समझाने की ताकत है। मैं भाजपा कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता हूं कि वे घर-घर जाकर लोगों को कानून से होने वाले लाभ के बारे में बताएं। हमारा अभियान पूरा होने के बाद देश के लोग सीएए के महत्व को समझेंगे।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में कोई हिंसा नहीं हुई है और तब से अब तक वहां किसी की मौत नहीं हुई है।
भाजपा अध्यक्ष शाह ने कहा, ‘‘विपक्ष के कुछ नेताओं ने संसद में दावा किया था कि (अगर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा तो) खूब-खराबा होगा। ऐसे बयान रिकॉर्ड में दर्ज हैं। लेकिन जनता ने ऐसे नेताओं को उचित उत्तर दिया। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से एक व्यक्ति की भी मौत नहीं हुई है।’’
गौरतलब है कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों... जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में बांटने का फैसला किया था।
शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभालने के साथ ही विदेश नीति और सुरक्षा नीति को अलग-अलग कर दिया।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हमने दुनिया को बताया कि हम सभी के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन अगर हमपर हमला हुआ तो हम उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारे देश में लगातार आतंकवादी हमले हो रहे थे... लेकिन उरी और पुलवामा हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक ने हमारी मंशा स्पष्ट कर दी। अमेरिका और इज़राइल के बाद ऐसा करने वाला भारत तीसरा देश बन गया।’’
भारत ने कश्मीर के उरी में थल सेना के एक शिविर पर हुए आतंकी हमले के 10 दिन बाद 29 सितंबर, 2016 को नियंत्रण रेखा के पार सात आतंकवादी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। वहीं फरवरी, 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना ने आतंकवादी शिविरों पर एयर स्ट्राइक किया था।
गुजरात में सुरक्षा मजबूत करने के प्रति लक्षित विभिन्न परियोजनाओं को शुरू करते हुए शाह ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ने उस पुराने तंत्र को ध्वस्त कर दिया है जहां नेताओं और अपराधियों के बीच सांठगांठ होती थी।
शाह ने कहा, ‘‘दलितों पर अत्याचार, कर्फ्यू, आदिवासी इलाकों में भोजन की कमी आज गुजरात में गुजरे जमाने की बात हो गई है। मैं जनता से अनुरोध करता हूं कि वे झूठ और भ्रम फैलाने वालों को पहचानें।’’
अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए गुजरात के गृह विभाग और राज्य पुलिस की प्रशंसा करते हुए शाह ने कहा कि तकनीक के अधिकतम इस्तेमाल से अपराध को कम करने में मदद मिल सकती है।
शाह गुजरात में नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान राज्य के गृह मंत्री रह चुके हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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