नयी दिल्ली, : सरकार सामाजिक प्रभाव कंपनियों के गठन के वास्ते एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है। इन कंपनियों में मुनाफे का वितरण शेयरधारकों के बीच किया जा सकेगा।
एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह की कंपनियों से देश में विकास गतिविधियों के लिए निजी पूंजी आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
अधिकारी ने पीटीआई -भाषा से कहा कि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय सामाजिक प्रभाव वाली कंपनियों की नयी अवधारणा पर काम कर रहा है। ऐसी कंपनियों के लिए अलग कानून लाने की योजना है।
सामाजिक प्रभाव या सामुदायिक हितों वाली कंपनियां ब्रिटेन सहित पश्चिमी दुनिया के कई देशों में होती हैं।
अधिकारी ने कहा कि इसके पीछे वृहद विचार सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियों में पूंजी आकर्षित करने और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काम करना है।
अधिकारी ने कहा कि सामाजिक प्रभाव कंपनियों की अवधारणा पर काम अभी काफी शुरुआती चरण में है। इसके लिए जरूरी कानूनी ढांचा बनाने में अभी कुछ साल लगेंगे।
उन्होंने कहा कि कंपनी कानून की धारा आठ से हटकर इस नयी श्रेणी की कंपनियां अपने शेयरधारकों को लाभांश दे सकेंगी। इसका मतलब है कि वे अनुमति योग्य सीमा तक अपने मुनाफे को शेयरधारकों में बांट सकेंगी। इसके अलावा कारोबारी गतिविधियों के संचालन में उन्हें अधिक आजादी होगी।
अधिकारियों के मुताबिक ये नई कंपनियां धारा आठ की कंपनियों के मुकाबले उनका ही एक नया स्वरूप होगा। कंपनी कानून की धारा आठ के तहत आने वाली कंपनियां मुनाफा कमाने के लिये काम नहीं करतीं हैं। इसके तहत आने वाली कंपनियां अपने शेयरधारकों को लाभांश भी नहीं देतीं हैं।
वर्तमान में देश में 11 लाख पंजीकृत कंपनियां हैं जो कि कंपनी कानून के तहत नियमित रूप से जरूरी वित्तीय कागजात जमा कराती रहतीं हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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