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राजस्थान के कोटा शहर के सरकारी अस्पताल मे सो से अधिक बच्चों की मोत -    चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को बरखास्त करने की आवाज उठी।            

जयपुर।
               राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की विभाग के प्रति लापरवाही बरतने के खिलाफ अनेक दफा उठते रहने के बाद भी सरकार नही चेतने का परिणाम अब कोटा के जेके लोन सरकारी अस्पताल मे विभाग की लापरवाही के चलते एक महिने मे एकसो चार गरीब मासूम बच्चों की मोत होने के बावजूद करीब एक सप्ताह तक चिकित्सा मंत्री की नींद नही टूटने से सरकार की काफी किरकरी हो रही है।
            बच्चों की मोत पर हर तरफ त्राहि त्राहि मचने के बाद भी चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की प्रतिक्रिया मे घावो पर महलम लगाने के बजाय नमक छिड़कने से भारत भर मे राजस्थान सरकार को बदनामी झेलनी पड़ रही है। बच्चों की मोत के बाद केंद्र के स्वास्थ्य विभाग की टीम आने के बाद चिकित्सा मंत्री कोटा अस्पताल का निरीक्षण करने गये तो उनका अस्पताल प्रशासन ने रेड कारपेट बिछाकर स्वागत करने से सरकार की काफी किरकरी हो रही है।
            कोटा के सरकारी अस्पताल मे बच्चों की मोत होने के जारी सीलसीले के बाद भारत भर मे राजस्थान सरकार की नींद नही खूलने व सरकार की तरफ हल्की फूलकी रिपोर्ट के आने के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को कोटा जाकर सही सही तथ्यात्मक रिपोर्ट देने के कहने के बाद सचिन पायलेट आज कोटा के जे के लोन सरकारी अस्पताल जाकर जायजा लेकर विस्तृत जानकारी पाने के बाद कहा है कि
कोटा के जे के लोन अस्पताल में बच्चों की मौत पर बोले कि ये दिल दहला देने वाली घटना है।,इसकी जिम्मेदारी तय करना जरूर है,पिछली सरकार पर दोष मंडना गलत है।हमारी 13 महीने से सरकार है हमने क्या किया यह देखना होगा।
          कोटा शहर के जेके लोन सरकारी अस्पताल में मरने वाले बच्चों का आंकड़ा 35 दिन में 107 पहुंच गया। शुक्रवार को दो और आज शनिवार सुबह एक नवजात बच्ची ने दम तोड़ा। दोपहर में राज्य के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट अस्पताल का दौरा करने पहुंचे। उन्होंने कहा- मैं समझता हूं कि यह कोई छोटा-मोटा हादसा नहीं है, यह दिल दहला देने वाली घटना है। पूरे मामले में किसी न किसी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। प्रशासन, मेडिकल, सरकार में से कोई न कोई तो जिम्मेदार हो। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी पीड़ित परिवारों से मिलने कोटा पहुंचे थे।
         सचिन पायलट ने कहा-मैं यहां आया हूं, मेरे साथ कोई नारे लगाने वाला नहीं आया। न मैंने नारे लगाने दिए हैं। मैंने जवाब देही और जिम्मेदारी की बात की है। मैंने इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया। मैं जिन परिवार वालों से मिला हूं, उन्होंने कहा कि हमारा तो बच्चा चला गया, लेकिन भविष्य में ऐसा न हो, इसका इंतजाम होना चाहिए। जिस मां ने अपनी कोख में नौ माह बच्चे को रखा,उसे खोने की पीड़ा वही जानती है। इस मामले में हमारी प्रतिक्रिया ज्यादा संवेदनशील और ज्यादा सहानुभूतिपूर्ण होनी चाहिए थी।
           पिछली सरकार को जिम्मेदार कहने से हालात नहीं बदलेंगे-पायलट।
           पायलट ने यह भी कहा कि 13 महीने सरकार में रहने के बाद भी अब अव्यवस्थाओं या कमियों के लिए पूर्व की सरकार पर निशाना साधने से कोई हल नहीं निकलेगा। क्योंकि, अगर उन्होंने अपना काम ठीक तरह से किया होता, तो जनता उन्हें सत्ता से बाहर नहीं करती। हमें जनता ने चुना है, हमें जिम्मेदारी का सामना करना पड़ेगा, जनता की हमसे अपेक्षाएं हैं। इससे पहले जोधपुर एम्स की टीम भी अस्पताल पहुंची। टीम ने डॉक्टरों, कर्मचारियों से चर्चा करने के साथ-साथ वहां की व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया।
           जांच समिति ने बच्चों की मौत की वजह 'हाइपोथर्मिया' बताया।---
    राज्य सरकार ने बच्चों की मौत के मामले में जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक,बच्चों की मौत का मुख्य कारण हाइपोथर्मिया बताया गया है। इसके अलावा अस्पताल के लगभग हर तरह के उपकरण और व्यवस्था में खामियां बताई गई हैं।
अस्पताल के 71 में से 44 वॉर्मर खराब।
नवजातों का तापमान 36.5 डिग्री तक होना चाहिए। नर्सरी में वॉर्मर के जरिये तापमान 28 से 32 डिग्री के बीच रखा जाता है। जिसके लिए अस्पताल में 71 वार्मर हैं, जिसमें से 44 खराब पड़े हैं।यही मशीन खराब होने से नर्सरी में तापमान गिर गया और बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार हुए। मंत्री ने  नेजनरल वार्ड के 90 बेड की तीन यूनिट, एनआईसीसीयू की 36 वार्ड की 3 यूनिट और पीआईसीयू की 30 वार्ड की 3 यूनिट के प्रस्ताव 7 दिन में भिजवाने के निर्देश दिए हैं।
             ऑक्सीजन लाइन के लिए आया पैसा कहां खर्च हुआ, पता नहीं।---
    शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने अस्पताल प्रबंधन के साथ बजट पर चर्चा की। इस दौरान पता चला कि हर खाते में पैसा पड़ा है।एनएचएम के खाते में 1 करोड़ रुपए हैं, जबकि भामाशाह और आरएमआरएस खाते में भी पैसा है। नवजात बच्चों के पीआईसीयू की सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन के लिए 22.80 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी, इसमें से 15 लाख रुपए सीएमएचओ ने अप्रैल में ही ट्रांसफर कर दिए। लेकिन,यह पैसा भी पूरा खर्च नहीं किया गया, सिर्फ 8.50 लाख रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) भेजा गया। सीएमएचओ ने जब पूरे बजट का विस्तृत ब्योरा रखा तो मंत्री ने पूछा कि बाकी पैसा कहां है, कहां खर्च किया तो कोई भी जवाब नहीं दे पाया।
              कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान मे कांग्रेस की सरकार आये तेराह महिनो मे चिकित्सा विभाग मे कोई खास सुधार नही हुवा है। अस्पतालो की हालत भद से बदतर होती जा रही है। चिकित्सा मंत्री लगातार अपनी प्रतिक्रिया से विवादों मे घीरते जा रहे है। मरने वाले तमाम बच्चे बहुत ही गरीब परिवार से तालूक रखते है। अगर इनमे से एक भी मरने वाला बच्चा प्रभावशाली परिवार का होता तो सरकार संकट मे आ सकती थी। सरकार के आने के बाद चिकित्सा विभाग मे केवल मात्र तबादला कारोबार ने ऊंचाइयों को छुवा है। सुधार के नामपर जीरो प्रोग्रेस होनि माना जा रहा है।


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