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प्रीवेन्शन इज बेटर दैन क्योर” का सिद्धान्त अपनाते हुए टिड्डी के प्रकोप होने से पूर्व ही इससे बचाव के शुरू किये गये उपाय : संजय आर. भूसरेड्डी

लखनऊ : प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी  संजय आर. भूसरेड्डी ने गुजरात राज्य में टिड्डी के प्रकोप की खबरों के दृष्टिगत प्रदेश में गन्ने की फसल को इन कीटों से बचाने के लिये किसानों में जागरूकता अभियान चलाने के लिये सभी विभागीय अधिकारियों एवं गन्ना शोध केन्द्र के वैज्ञानिकों को निर्देश जारी किये हैं। सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लगातार गाॅवों का भ्रमण करके उक्त कीट के संभावित आक्रमण को विफल करने हेतु किसानों को सजग रहने तथा पर्याप्त सावधानियां बरतने के लिये जागरूक करने को कहा गया है। इसके लिए पम्पलेट्स, हैंडबिल का वितरण करने, दैनिक समाचार पत्रों में कीट से बचाव के उपायों को प्रकाशित कराने, सभी कार्यालयों एवं गोदामों की दीवालों पर कीट के रोकथाम के उपायों को लेखन कराने तथा सभी किसानों तक जानकारी पहुॅंचाने के निर्देश दिये गये हैं।

चूॅंकि टिड्डियां बहुत अधिक संख्या में एक साथ आक्रमण करती हैं और बहुत कम समय में फसल को चट कर जाती हैं अतः इनका आक्रमण होने के बाद फसल को बचाना बेहद मुश्किल है ऐसी स्थिति में पूर्व से ही तैयारी करके इनसे बचाव किया जा सकता है। कम पानी, सूखा व ग्रीष्म की दशा में उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है। अतः अभी से किसानों को जागरूक करने तथा टिड्डियों से बचाव के उपायों से अवगत कराने को गन्ना विकास विभाग का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है।

गन्ना आयुक्त, ने यह भी बताया कि टिड्डियों से बचाव के लिये खेत की मेड़ों से घास को साफ सफाई करना आवश्यक है, क्योंकि ये घास में ही अंडे देती है। टिड्डियां शोर होने से डर जाती हैं। अतः इनका व्यापक प्रकोप होने की दशा में ढोल, थाली आदि बजाना चाहिए ताकि वे डर कर भाग जाएं।

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