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पाकिस्तान ‘शैतानी इरादे” रखता है : भारत ने यूएनएससी में कहा

संयुक्त राष्ट्र, :  भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि इस्लामाबाद “शैतानी इरादे” रखता है लेकिन उसकी बातों से कोई प्रभावित नहीं होता।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने बृहस्पतिवार को कहा, “शैतानी इरादे रखने वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने एक बार फिर झूठ फैलाकर अपनी असलियत दिखा दी है। इसे हम सिरे से खारिज करते हैं।”

अकबरुद्दीन ने कहा, “पाकिस्तान को मेरा आसान सा जवाब यह है कि भले ही देर हो गई हो लेकिन मेरे पड़ोसी, अपना रोग ठीक करिए। आपके झूठ और दुष्प्रचार को यहां कोई मानने वाला नहीं है।”

उन्होंने “अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को और संयुक्त राष्ट्र चार्टर को बरकरार रखने” के विषय पर खुली चर्चा के दौरान ये बातें कहीं।

अकबरुद्दीन की यह तीखी प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम द्वारा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के जवाब में आई।

पाकिस्तानी राजदूत ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने, कश्मीर में संचार माध्यमों पर रोक लगाने का मुद्दा उठाने के साथ ही विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का भी जिक्र किया जिन्हें पिछले साल फरवरी में भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई संघर्ष होने के बाद पाकिस्तान ने कैद कर लिया था।

अकरम ने सुरक्षा परिषद और महासचिव एंतोनियो गुतारेस से “भारत और पाकिस्तान को किसी विनाशकारी युद्ध में जाने से रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई करने” की अपील की।

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के लिए भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की असफल कोशिशें करता रहा है।

भारत के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने नयी दिल्ली के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को घटा लिया था और भारत के उच्चायुक्त को निष्काषित कर दिया था।

परिषद को दिए अपने बयान में अकबरुद्दीन ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा स्वीकार किया जा रहा है कि 15 राष्ट्रों की सुरक्षा परिषद पहचान एवं वैधता के साथ-साथ प्रासंगिकता एवं प्रदर्शन के संकट का भी सामना कर रही है।

उन्होंने कहा, “दुनिया भर में आतंकी नेटवर्कों का फैलना, नयी प्रौद्योगिकियों को हथियार बनाया जाना, विध्वंसकारी शासन चाहने वालों से निपटने की अक्षमता परिषद की खामियां दिखा रही हैं।”

अकबरुद्दीन ने ध्यान दिलाया कि निरंतर परिवर्तित हो रही दुनिया में, अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की चुनौतियां, उनसे निपटने के लिए बनीं प्रणालियों से एक कदम आगे हैं।

उन्होंने कहा, “अब यह स्पष्ट है कि दुनिया जल रही है। उपलब्ध तंत्रों का उनका महत्व घटाए बिना निष्पक्ष मूल्यांकन करने के लिए हमें खुद से पूछने की जरूरत है - क्या वे चार्टर के मौलिक सिद्धांतों को लागू करने के मकसद से लिए अब भी फिट हैं?”

उन्होंने वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए जारी एवं भावी खतरों से निपटने के लिए परिषद को राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा बनने की जरूरत को रेखांकित किया और कहा कि परिषद को वर्तमान वैश्विक वास्तविकताएं दर्शानी चाहिए और मकसद पर खरा उतरना चाहिए।


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