नयी दिल्ली, : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया बलात्कार मामले के दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
मुकेश 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के चार दोषियों में से एक है।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी जिसके शीघ्र बाद ही राष्ट्रपति ने इसे खारिज कर दिया।
दया याचिका खारिज होने के बारे में पता चलने पर निर्भया के पिता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ यह बहुत अच्छा है। जब हमने ‘फांसी देने में देरी हो सकती है’ वाली खबर सुनी तो हमारी सारी उम्मीदें धूमिल पड़ गई थीं।’’
मुकेश सिंह ने दो दिन पहले ही दया याचिका दायर की थी।
सात जनवरी को दिल्ली की एक अदालत ने मौत का फरमान जारी करते हुए कहा था कि चारों दोषियों - मुकेश सिंह(32), विनय शर्मा (26), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को 22 जनवरी की सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी।
हालांकि दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा था कि दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती है क्योंकि दोषी मुकेश ने दया याचिका दायर कर रखी है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार सुबह कहा, ‘‘ गृह मंत्रालय ने मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी दी है। मंत्रालय ने इसे खारिज करने के दिल्ली के उप राज्यपाल की सिफारिश को दोहराया है।’’
दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय ने मुकेश सिंह की दया याचिका बृहस्पतिवार को गृह मंत्रालय के पास भेजी थी। इससे पहले दिल्ली सरकार ने इस दया याचिका को खारिज कर दिया था।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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