नयी दिल्ली, : सीबीआई ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में बच्चों की हत्या के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
जांच एजेंसी ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि दो कंकाल बरामद हुए थे लेकिन बाद में फॉरेंसिक जांच में पता चला कि ये कंकाल एक महिला और एक पुरूष के थे।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट को मंजूर किया और जांच टीम से दो अधिकारियों को कार्यमुक्त करने की अनुमति दी।
जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि बच्चों के बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की गई और संबंधित अदालतों में आरोप पत्र दायर किए गए।
वेणुगोपाल ने कहा कि जिन बच्चों की की हत्या के आरोप लगे थे, वे बाद में जीवित पाए गए।
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने बिहार में 17 आश्रय गृहों के मामलों की जांच की और इनमें से 13 में आरोप पत्र दायर किए जबकि चार मामलों की शुरुआती जांच की गई और सबूत नहीं मिलने के कारण जांच बाद में बंद कर दी गई।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ