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लोकतांत्रिक तरिको से किये आंदोलन से पाया जा सकता है "हक"

सीकर।


             पीछले हफ्ते सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे व रोलसाहबसर गावं के सात युवको के कार-ट्रक दुर्घटना मे शहीद होने से एक तरफ शेखावाटी जनपद का हर शख्स गमगीन था तो दूसरी तरफ एक समाचार पत्र उनके इस दर्दनाक हादसे की रिपोर्टिंग करते समय समाचार शीर्षक मे अलग रंग से अपराधी बताकर गमगीन माहोल को अलग रुप देने की कोशिश करता नजर आया।



                अखबार के उक्त समाचार शीर्षक मे दुर्घटना मे शहीद हुये युवाओं के लिये "अपराधी" शब्द का इस्तेमाल करने के लिये उक्त अखबार पुलिस द्वारा जारी अपराधी रिकॉर्ड का प्रैस नोट बताकर इतिश्री करता नजर आया। लेकिन उक्त अखबारी रिपोर्ट से स्तब्ध व दुखी युवाओ ने उक्त रिपोर्ट के खिलाफ संविधान मे मिले अधिकारो का उपयोग करते हुये जगह जगह आंदोलन चलाकर सच्चाई को जीत दिलाते हुई बाजी जीतकर उक्त अखबार को खेद व्यक्त करने को मजबूर किया। वही अखबार व पुलिस ने भी जनभावना का सम्मान करते हुये अच्छा उदाहरण पैश करके दिल जीत लिया।



           कुल मिलाकर यह है कि कम से कम भारतीय युवाओ को हरदम जागरूक रहते हुये रोजाना घटने वाली घटनाओं पर नजर रखते हुये जब उन्हें लगे कि कुछ गलत हो रहा है, तो उनको अपने हक व स्वच्छ लोकतांत्रिक परम्पराओं को बनाये रखने के लिये भारतीय लोकतंत्र मे मिले अधिकारो का शांतिपूर्ण उपयोग करते हुये अपनी बात रखने को आगे बढाने की आदत बनना चाहिए।


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